शिव विवाह की कथा अनिल मिश्रा कथा व्यास।
विनय मिश्र जिला संवाददाता।
बरहज ,देवरिया। बरहज नगर स्थित स्थित नंदन वार्ड पश्चिम में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पंडित विश्वनाथ त्रिपाठी की स्मृति में चल रही पांच दिवसी कथा के विश्राम दिवस के अवसर पर बक्सर से पधारे हुए आचार्य अनिल मिश्रा ने शिव विवाह की चर्चा करते हुए कहा कि रामचरितमानस में पूज्यपद गोस्वामी जी ने चार विवाहों की चर्चा की है जिसमें श्री सीताराम विवाह एवं भगवान शिव का विवाह हर्ष उल्लास के साथ संपन्न हुआ है या दोनों विवाह ऐतिहासिक विवाह है शिव विवाह पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि पार्वती की कठिन तपस्या को देखकर सप्तर्षियों द्वारा भगवान शिव से प्रार्थना करने पर एवं प्रभु श्री राम द्वारा भगवान शिव से विनती करने पर भगवान शिव पार्वती से विवाह करने के लिए तैयार हुए । विवाह की तैयारी होने लगी देवतागण अपने-अपने वाहनों के साथ बारात जाने की तैयारी करने लगे वहीं भगवान शिव अकेले कैलाश पर विराजमान थे भगवान शिव के गानों ने भगवान शिव को दूल्हे के रूप में सजाना शुरू किया पूरे शरीर पर चिता भस्म का लेप किया गया कानों में बिच्छुओं की कुंडल गालों गले में सांपों की माला और बारात जाने के लिए नंदी बैल तैयार हुआ बारात निकल पड़ी सबसे पहले देवता पहुंचे हिमाचल राज्य में वहां के लोग बड़े प्रसन्न हुए बहुत सुंदर बारात जिसकी बारात इतनी सुंदर है उसमें दूल्हा कितना सुंदर होगा लेकिन जब शिव पहुंचे तो हिमाचल नगर के लोग डर गए ।इस सब के पीछे भगवान शिव की अपनी खुद की लीला थी पार्वती के प्रार्थना करने पर भगवान ने सुंदर रूप धारण किया और शिव पार्वती विवाह संपन्न हुआ। कथा के दौरान वीरेंद्र त्रिपाठी ,कृष्ण मुरारी तिवारी ,रामनिवास उपाध्याय, विवेकानंद तिवारी, रमेश तिवारी अनजान, अभिमन्यु तिवारी, कटेश्वर प्रसाद ,सुदर्शन यादव, सुभाष यादव, महंत प्रसाद कुशवाहा ,गणेश मिश्र, दयाशंकर तिवारी, रामकृष्ण पांडे, बृजेश शर्मा ,विद्यानंद पांडे, पीयूष मिश्रा ,श्री प्रकाश पाल ,अनमोल मिश्रा, सावित्री राय, विनय कुमार मिश्रा सहित हजारों की संख्या में श्रद्धालु गण उपस्थित रहे।