रामपुर में सपा में दो फाड़ से भाजपा का रास्ता हुआ साफ,आजम के गढ़ में लहराएगा भगवा

UP News:रामपुर।जानी यह रामपुरी है लग जाए तो खून निकल आता है।इस फिल्मी डायलाग के पीछे रामपुर का चाकू है। धारदार राजनीति में भी रामपुर का अध्याय रहा है। दुनिया का अनूठा किताबी खजाना (रजा लाइब्रेरी) और नक्षत्रशाला भी रामपुर के गौरव हैं।लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। चुनाव प्रचार अभियान अपने चरम पर है।ऐसे में रामपुर लोकसभा में सब कुछ अब पहले जैसा नहीं है।एक समय था जब रामपुर की सियासत सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान के इर्द-गिर्द घूमती थी,लेकिन बदले समय के साथ यहां बहुत कुछ बदल चुका है।रामपुर लोकसभा में लंबे समय से भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी में कड़ी टक्कर देखने को मिलती है। 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में फिल्म अभिनेत्री जय प्रदा सपा से सांसद बनीं। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा से डॉ. नेपाल सिंह सांसद बने। 2019 में आजम खान ने रामपुर से शानदार जीत दर्ज की।अब रामपुर भाजपा के पास है।रामपुर में भाजपा प्रत्याशी घनश्याम लोधी और सपा प्रत्याशी मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी के बीच कड़ा मुकाबला नजर आ रहा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में आजम खान ने जीत दर्ज की थी,लेकिन बाद में आजम को सजा होने से उनकी सदस्यता चली गई।इसके बाद हुए उपचुनाव में भाजपा से घनश्याम लोधी ने जीत दर्ज की।भाजपा ने इस बार भी घनश्याम को चुनावी मैदान में उतारा है।बसपा ने जीशान खान को चुनावी मैदान में उतारा है।रामपुर लोकसभा खासकर सपा के आजम खान के वर्चस्व वाली रही है,लेकिन इस बार सपा में फूट की वजह से यह लोकसभा सपा के लिए मुश्किलभरी साबित हो रही है।रामपुर में बेरोजगारी एक बड़ा मुद्दा है।यहां के युवा रामपुर से बाहर जाकर नौकरी करते हैं।रोजगार के अलावा मेडिकल कॉलेज, सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी, ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली और सड़क की सुविधा आदि यहां की बड़ी समस्याएं हैं।दरअसल इन दिनों आजम खान अपने बेटे अब्दुल्ला आजम के दो जन्म प्रमाण पत्र मामले में सात साल की सजा काट रहे हैं। चुनावी बिगुल बजने के बाद बीते माह 22 मार्च को सपा मुखिया अखिलेश यादव ने सीतापुर जेल में बंद आजम खान से मुलाकात की थी। तब आजम ने अखिलेश यादव से रामपुर लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने को कहा था, लेकिन अखिलेश यादव ने यहां अपने भतीजे तेजप्रताप सिंह को चुनावी मैदान में उतारने पर चर्चा शुरू कर दी,लेकिन आजम खान गुट ने तेजप्रताप सिंह यादव का विरोध किया। इस पर अखिलेश यादव ने दिल्ली के मौलाना मोहिबुल्लाह को टिकट दे दिया,जिससे यहां के लोगों में और ज्यादा नाराजगी बढ़ गई।सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष वीरेंद्र गोयल ने तो खुली घोषणा कर दी है कि वे बसपा प्रत्याशी जीशान को समर्थन देंगे।वीरेंद्र गोयल के अलावा वर्तमान जिलाध्यक्ष अजय सागर, प्रदेश सचिव अखिलेश गंगवार और ओमेन्द्र चौहान भी प्रचार से दूरी बनाए हुए हैं।आज़म खान गुट द्वारा सपा प्रत्याशी का विरोध, सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष द्वारा बसपा प्रत्याशी का समर्थन भी यहां सपा प्रत्याशी को कमजोर करेगा।उधर भाजपा ने सपा में इस फूट का फायदा उठाते हुए चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित कई मंत्री रामपुर आ चुके हैं।उधर सपा से चुनाव प्रचार के लिए अभी तक कोई नहीं आया है। रामपुर में लगभग 8 लाख हिन्दू वोटर और 9 लाख से ज्यादा मुस्लिम वोटर हैं।रामपुर लोकसभा में पहले चरण में 19 अप्रैल को वोटिंग होगी।

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