जन्मदिन विशेष : पं. शिवनाथ मिश्र, पं. रविशंकर के बाद पद्म पुरस्कार पाने वाले पहले सितार वादक
Birthday Special: Pt. Shivnath Mishra, the first sitar player to receive the Padma Award after Pt. Ravi Shankar
नई दिल्ली:। साल 2022 में बनारस के ख्याति प्राप्त सितार वादक पंडित शिवनाथ मिश्र को जैसे ही पद्म श्री देने की घोषणा की गई, बनारस के उनके घर पर बधाई देने वालो का तांता लग गया। भीड़ इस कदर बढ़ी कि लोगों को संभालना मुश्किल हो गया। अंत में प्रशासनिक हस्तक्षेप से इस भीड़ को हटाया जा सका। सितार वादकों में पं. रविशंकर के बाद पं. शिवनाथ मिश्र ही वह हस्ती हैं जिन्हें पद्म पुरस्कार प्राप्त हुआ है।
काशी की शास्त्रीय संगीत परंपरा में पं. शिवनाथ मिश्रा का नाम बड़े आदर से लिया जाता है, खासकर जब से उन्हें पद्म श्री सम्मान से नवाजा गया है। उनके पुत्र देवव्रत मिश्र ने इस उपलब्धि पर गर्व जताते हुए कहा था, “मेरे पिता जी मेरे गुरु भी हैं और उनका पद्म श्री से सम्मानित होना बहुत बड़ी बात है। सितार तंत्रकारी के क्षेत्र में यह सम्मान उनके लिए एक महत्वपूर्ण मान्यता है।”
देवव्रत ने यह भी बताया कि भारतीय शास्त्रीय संगीत में तबला और गायन के लिए कई सम्मान हैं, लेकिन तंतु वादन में यह सम्मान कम ही मिलता है। इस उपलब्धि के लिए उन्होंने सरकार का धन्यवाद किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि गुरु-शिष्य परंपरा को आज भी जीवित रखा जा रहा है, और लोग दुनिया भर से संगीत की शिक्षा लेने आते हैं, साथ ही भारतीय संस्कृति की गहराइयों को भी समझते हैं।
पं. शिवनाथ मिश्रा का जन्म 12 अक्टूबर 1943 को उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में हुआ। उनके पिता, स्व. पं. बद्री प्रसाद मिश्र, एक प्रतिष्ठित संगीतज्ञ थे। पं. शिवनाथ मिश्रा, जो बनारस घराने के सितार वादक हैं, ने आठ वर्ष की आयु में अपने चाचा, ठुमरी सम्राट स्व. पंडित महादेव प्रसाद मिश्रा से भारतीय शास्त्रीय संगीत (गायन एवं सितार) की शिक्षा ली।
इसके अलावा, पंडित शिवनाथ मिश्र ने सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय में संगीत विभाग के विभागाध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। उनका संगीत ज्ञान और समर्पण न केवल उनके लिए, बल्कि पूरी काशी की सांस्कृतिक विरासत के लिए एक अमूल्य धरोहर है। उनके योगदान ने कई संगीतकारों को प्रेरित किया है, और उनकी शिक्षाओं से संगीत की दुनिया में उनका डंका बजता है.