सुप्रीम कोर्ट ने थाने में नाबालिग का बलात्कार करने के आरोपी एसएचओ की जमानत रद्द की
The Supreme Court on Wednesday canceled the bail of an SHO accused of raping a minor at the police station
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में एक थाने के अंदर 13 साल की एक लड़की के बलात्कार के आरोपी एसएचओ की जमानत रद्द कर दी है।
नई दिल्ली, 5 मई । सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले में एक थाने के अंदर 13 साल की एक लड़की के बलात्कार के आरोपी एसएचओ की जमानत रद्द कर दी है।
नाबालिग लड़की को बहला-फुसलाकर उसी के गांव के चार लड़के पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश ले गये, जहां उन्होंने उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया और फिर गांव में छोड़ गये।
जब पीड़िता लड़कों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने थाने पहुंची तो एसएचओ ने उसे हिरासत में ले लिया और उसके साथ बलात्कार किया।
न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि शीर्ष अदालत ने झारखंड सरकार बनाम संदीप कुमार के मामले में अपने पद का दुरुपयोग करने वाले पुलिस अधिकारी को दी गई जमानत पर पुनर्विचार किया और कोई छूट दिये बिना पुलिस अधिकारी के साथ आम लोगों की तरह व्यवहार किया।
खंडपीठ, जिसमें न्यायमूर्ति संजय कुमार भी शामिल थे, ने कहा, “बता दें कि वह (संदीप कुमार का) मामला किसी जघन्य अपराध से भी नहीं जुड़ा था। मौजूदा मामले में स्थिति बेहद बुरी है क्योंकि आरोपी नंबर 1 उस थाने का एसएचओ था जहां पीड़िता को न्याय दिलाने के लिए ले जाया गया था। उसी पर पीड़िता के साथ वही जघन्य अपराध दोहराने का आरोप है।”
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पिछले साल मार्च में आरोपी पुलिस अधिकारी को सशर्त जमानत दे दी थी। उसने कहा था कि अभियोजन पक्ष के आरोपों में दम नहीं है।
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने कहा था कि इलेक्ट्रॉनिक डाटा और कॉल रिकॉर्ड से यह बात साबित होती है कि पीड़िता घटना के समय थाने में मौजूद नहीं थी।
शीर्ष अदालत ने पीड़िता की मां द्वारा दायर याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए कहा कि उसे इस समय पुलिस अधिकारी को जमानत देने का कोई कारण नजर नहीं आता। उसने पुलिस अधिकारी को तुरंत आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया।