भक्त के भक्ती के, भूखे हैंभगवान राम शबरी के जूठे बेर खाये
रिपोर्ट संजय सिंह
रसड़ा, (बलिया) श्री रामचरित मानस सत्संग अनुष्ठान समिति द्वारा श्रीनाथ मठ पर आयोजित राम कथा के आठवें दिन शुक्रवार के रात्रि में नवाह परायण यज्ञ अनुष्ठान व राम कथा में श्रीमती नीलम शास्त्री मानस मर्मज्ञ का भाव विभोर कर देने वाला प्रवचन से लोग मुग्ध व भाव विभोर हो उठे, वे पसंबोधन मे कही कि तनाव चिंता से मुक्ती पना है तो राम रूपी नाव पर सवार होना पड़ेगा यानी भगवान से प्रेम व भक्ति करना पड़ेगा। वाराणसी से आयी श्रीमती नीलम शास्त्री ने अपार जनसमूह को भगवत कथा से संबोधित करती हुई कही कि भगवान श्री राम को शबरी के झूठे बेर में जो स्वाद मिला वह उन्हें उनके ससुराल जनकपुर में या राजमहल में भी नहीं मिला। भगवान भक्ति के भूखे होते हैं उन्होंने शबरी मैया के झूठे बेर को स्वादिष्ट बताया और कहा कि जनकपुर में मिले सुस्वादु भोजन से कहीं अधिक स्वाद भरा शबरी के झूठे बेर में था। उन्होंने कहा कि कपड़े से लोग सुंदर नहीं होते हैं लोगों के विचार ही उन्हें सुंदर बनाते हैं। भगवान का भजन करने वाला सबसे सुंदर होता है। उन्होंने कहा कि जैसा खाये अन्न वैसा बने मन और जैसा पिये पानी वैसी हो वाणी ,जैसा रहे संग वैसा चढ़े रंग। कथा सुनने पर्याय अहंकार झूछ छल कपट लोभ लालच तत्काल लाभ का जिज्ञासा फल मिले उसपर निर्भर न होकर उसे छोड़कर भक्ति भाव से और प्रेम से सुनना ही सबसे अच्छी भक्ति बताया गया है। हम कथा सूनने आते है किन्तु मन कही किसी ओर रहता है भक्ति से भगवान मिलते है उनहोने पूर्व जन्म का वर्णन करते हुए बतायी की भगवान को पाने के लिए या किसी बस्तु चीज को पाने के लिए धरती पर आना जैसा कि पाप को नास व पापियो का नाश के लिए भगवान को राम के रूप मे आना पड़ा पाप पूण्य का फल पाने के लिए धरती पर आना पड़ेगा भगवान से मिलने के लिए शबरी अधम जाति मे जन्म लेने के लिए धरती पर आना पड़ा। शबरी पूर्व जन्म मे एक राजा की कन्या (पुत्री) थी उस भी कही भगवत कथा राम कथा होता तो सुनने के ललक रहती थी किन्तु पहले बड़े घरो राज घरानोओ मे कन्याओ निकलने पर पावबन्दी था जिसे शबरी भगवान मिनती प्रार्थना किया करती थी की हे भगवन आप हमे ऐसे घर या जाति मे जन्म दे जिस मै आपके गुणगान का जप या कथा वहा जाकर सुन सकूं जिससे शबरी का भिल जाति मे जन्म हुई और ॠषि के सेवा करने पर उनके कहने पर की भगवान राम के रूप मे मिलने आयेगें कुछ समय तक उनकासमरण करो आने का समय का समय व्ययतित करो जिसे भक्त की भक्ति दे भगवान राम के रूप शबरी के कुटिया मे धरती आये कहने का तातपर्य है की किसी को कुछ पाने केलिए धरती पर आना पड़ेगा।
विंध्याचल धाम से पधारे जगतगुरु लक्ष्मण दास जी महाराज राम कथा भगवत कथा प्रवचन मे जन समूह को प्रेम भक्ति से भगवान के कथा सनने से भी मनुष्य का जीवन सफल हो जाता है।इस अवसर पर यज्ञ समिति के अध्यक्ष राम जी स्टेट ने उनका माल्यार्पण कर चरण पादुका का पूजन किया। अपने प्रवचन में उन्होंने कहा कि स्त्रियां साक्षात दुर्गा, लक्षमी, सरस्वती, होती हैं ।सनातन धर्म में स्त्रियों का बड़ा महत्व माना गया व महान माना गया है संसार की सृष्टि की उत्पति मे सबसे पहले स्त्री आयी और स्त्री से ही मानव समाज सृष्टि की रचना हुई है हमारा इतिहास गवाह है कि छत्रपति शिवाजी महाराज एक राजा थे।उनके दरबार मे स्त्रिया कभी भी नृत्य नही की उन्होंने स्त्रियों का कभी भी अपमान बर्दाश्त नहीं किया। सभी नारी, वंदनीय है।जहां नारी की है। उनकी पूजा होती है की जाती है वहीं ईश्वर का वास होता है। इसलिए हम सबको स्त्रियों का सम्मान करना चाहिए ।
कार्यक्रम में श्रीनाथ मठ के महंत श्री कौशलेंद्र गिरि जी महाराज एवं नागपुर मठ के महंत शिवानंद महाराज एवं डॉक्टर रामबाबू दीना सिंह राम जी काका अशोक आदि रहे।