भरत चरित्र की कथा का कराया रसपान आचार्य धीरज कृष्ण जी महाराज

रिपोर्ट विनय मिश्रा

देवरिया,
श्री राम कथा के सातवें दिवस पर आचार्य धीरज कृष्ण जी महाराज ने भरत चरित्र की कथा का रसपान कराया उन्होंने कहा कि भगवान राम का वन गमन हो गया था अयोध्या में दशरथ जी का स्वर्गवास हो गया था गुरु वशिष्ठ ने दूत भेज कर भरत को अयोध्या बुलवाया भरत जी ने अयोध्या की दशा देखकर बहुत दुखी हुए अपने माता कैयकेयी पर उन्होंने नाराजगी व्यक्त किया पिता के मृत्यु के समाचार के साथ जब उन्होंने सुना की भैया राम बन चले गए तो पिता के मरण को भूल गए और फूट-फूट कर रोने लगे। आगे चलकर उन्होंने पिता का क्रिया कर्म किया 12 दिनों के बाद अयोध्या की मीटिंग बुलाई गई और भरत को राजगद्दी देने की बात कही गई लेकिन भरत जी ने कहां किया सब संपत्ति रघुनाथ जी की है ।और अपना अंतिम निर्णय सुनाया कि मैं कल भैया राम से मिलने बन चलूंगा। पूरी अवध की प्रजा में इस बात की खुशी हुई सब लोग भरत जी के साथ हो लिए। चित्रकूट की पावन धरा पर भरत और राम का मिलन हुआ। प्रभु श्री राम ने भरत के जीवन की रक्षा के लिएप अपनी चरण पादुका दी ।जिसको लेकर भरत की लौट आए और 14 वर्षों तक राज सिंहासन पर भगवान की पादुका रखकर उन्होंने राज्य सत्ता चलाया। कथा के दौरान मुख्य यजमान के रूप में ज्ञानेंद्र मिश्रा, टिंकी मिश्रा, प्रेम शंकर पाठक, डॉक्टर किरण पाठक, लक्ष्मी शंकर शुक्ला, श्री प्रकाश पाल, कटेश्वर प्रसाद, गोपाल जीआदि रहे। कथा स्थल पर श्रोताओं की भारी भीड़ उम्र पड़ी कथा श्रोताओं में मोहन प्यारे सोनी, गिरिजा देवी, शशि कला शर्मा ,निखिल द्विवेदी, अनमोल मिश्रा, विशाल द्विवेदी, शिवम पांडे, अभय कुमार पांडे, पुष्पा पांडे, रेखा मिश्रा, सावित्री राय ,गिरीश मिश्रा ,आंचल, पाठक कपिल मुनि पाठक, अवधेश पाल, कृष्ण मुरारी तिवारी,राघवेंद्र शुक्ला,प्रभुनाथ शर्मा सहित काफी श्रद्धालु जल उपस्थित रहे।

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