भारतीय वायुसेना दिवस : जब 8 अक्टूबर को भारत के आसमान में चमका एक नया सितारा

Indian Air Force Day: When a new star shone in the sky of India on 8 October

 

नई दिल्ली: 1932, एक ऐसा साल जब भारत के आसमान में एक नया सितारा चमका। भारतीय वायुसेना की स्थापना, देश की रक्षा के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत थी। 8 अक्टूबर को देश भारतीय वायुसेना दिवस मनाता है। हवा में गर्जना करते लड़ाकू विमान और जवानों का अदम्य हौसला याद दिलाता है कि भारतीय वायुसेना सिर्फ ताकत नहीं, बल्कि भारत के आकाश की ढाल है जो आसमान को अपनी रणभूमि बनाकर देश की रक्षा करती है।

भारतीय वायुसेना की स्थापना जब 8 अक्टूबर 1932 को हुई थी तब इसका नाम “रॉयल इंडियन एयर फोर्स” था। बाद में भारत के स्वतंत्र होने के बाद इसमें से रॉयल शब्द को हटा दिया गया और यह “भारतीय वायुसेना” बन गया। आजादी से पहले भारतीय वायुसेना द्वितीय विश्व युद्ध में ब्रिटिश की ओर से हिस्सा ले चुकी थी। आजादी के बाद 1 अप्रैल 1954 का दिन भी भारतीय वायु सेना के लिए बड़ा खास दिन है जब वायुसेना के संस्थापक सदस्यों में एक एयर मार्शल सुब्रतो मुखर्जी एयर स्टाफ के पहले भारतीय प्रमुख बने थे।

यह 1932 से 1954 का दौर था। इसके बाद 1955 से 1971 के समय को उथल-पुथल के दौर के तौर पर याद किया जाता है। इस समय ब्रिटिश राज के अंत के साथ, भारतीय वायु सेना ने एक नए युग में प्रवेश किया। यह समय था जब भारतीय वायु सेना ने जेट विमानों का अधिग्रहण किया था। इसी अवधि में दो भारत-पाक युद्ध भी हुए, जिनमें से दोनों में भारतीय वायु सेना ने अहम भूमिका अदा की थी। इसके अलावा भारतीय वायुसेना ने कांगो में संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के साथ-साथ भारत-चीन संघर्ष में भी समर्पण और प्रतिबद्धता के साथ योगदान दिया।

इसके बाद 1972 से 1990 के समय को भारतीय वायुसेना के लिए प्रगति का दौर कहा जा सकता है। इस अवधि में भारतीय वायु सेना ने अपने विमानों और उपकरणों को काफी अपग्रेड किया था। इस प्रक्रिया के हिस्से के रूप में, भारतीय वायु सेना के बड़े में डकोटा जैसे विमानों की जगह लेने के लिए जगुआर और मिग के कई वर्जन शामिल हुए थे। 80 के दशक में भारतीय वायुसेना के बेड़े में शामिल हुआ मिग एक क्रांतिकारी विमान साबित हुआ।

इसी अवधि में भारतीय वायु वीरों द्वारा कई विश्व रिकॉर्ड भी बनाए गए। स्क्वाड्रन लीडर मक्कर और फ्लाइट लेफ्टिनेंट आरटीएस चिन्ना ने लद्दाख में 5050 मीटर की ऊंचाई पर अपने एमआई-17 हेलीकॉप्टर से बमबारी करके विश्व रिकॉर्ड बनाया। स्क्वाड्रन लीडर संजय थापर दक्षिणी ध्रुव के ऊपर पैरा जंप करने वाले पहले भारतीय थे। ऐसे ही स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा भारत-सोवियत अंतरिक्ष कार्यक्रम के हिस्से के रूप में अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री थे।

इसके बाद 1990 से वर्तमान तक का नया युग है। बीसवीं शताब्दी के अंतिम दशक ने भारतीय वायु सेना की संरचना में एक अभूतपूर्व परिवर्तन देखे गए। भारतीय वायु सेना में महिलाओं को शामिल किया गया। इसके साथ ही, यह भी एक ऐसा समय था जब वायु सेना ने अब तक के कुछ सबसे खतरनाक अभियानों का संचालन किया। 1999 में भारतीय वायु सेना ने कारगिल युद्ध के दौरान “ऑपरेशन सफेद सागर” का संचालन किया। कारगिल युद्ध के दौरान एक हवाई हमला शुरू किया गया और एक घुसपैठ करने वाले दुश्मन के खिलाफ प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियों में एक अभूतपूर्व ऊंचाई पर विजय हासिल की गई थी।

इस अवधि में भारतीय वायु सेना ने सोमालिया में शांति मिशन में भी भाग लिया। इस तरह से भारतीय वायु सेना अभी तक कई बड़े अभियानों को अंजाम दे चुकी है, जिनमें मुख्य ऑपरेशन है- ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन मेघदूत, ऑपरेशन कैक्टस।

इस बार भारतीय वायु सेना चेन्नई में 92वां वायुसेना दिवस मनाएगी। इस साल, भारतीय वायुसेना दिवस की थीम है “भारतीय वायुसेना: सक्षम, शक्तिशाली और आत्मनिर्भर”। यह थीम वायुसेना की राष्ट्रीय सुरक्षा, आत्मनिर्भरता और आधुनिकीकरण के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है।

इस दौरान 64 विमानों के प्रदर्शन के साथ मरीना बीच के ऊपर एक शानदार एयर शो होगा। यह भारत की बढ़ती वायु शक्ति और सैन्य तत्परता को प्रदर्शित करता है। एसयू-30, मिग-29, लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट , लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर , चेतक, डकोटा, जैगुआर और अन्य विमानों के साथ-साथ नौसेना के पी-8आई विमान और सेना के एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर भी प्रदर्शन करेंगे।

एयर शो में वायुसेना की सटीकता और कौशल प्रदर्शित करने के लिए विभिन्न प्रकार के फॉर्मेशन होंगे। अधिकारियों ने बताया कि दो घंटे के इस शानदार शो में भारत की वायु शक्ति का प्रदर्शन किया जाएगा। इसके लिए 4 अक्टूबर को अभ्यास हो चुका है।

Related Articles

Back to top button