राष्ट्रीय युद्ध स्मारक व वीर अब्दुल हमीद बने एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम का हिस्सा

National War Memorial and Veer Abdul Hamid became part of NCERT syllabus

 

नई दिल्ली:। देशभर में स्कूली छात्र अब ‘राष्ट्रीय युद्ध स्मारक’ को विषय में पढ़ सकेंगे। छात्रों की पाठ्य पुस्तक में ‘राष्ट्रीय युद्ध स्मारक’ को लेकर पाठ्य सामग्री शामिल की गई है। इसके साथ ही ‘वीर अब्दुल हमीद’ पर एक अध्याय स्कूली पुस्तकों में शामिल किया गया है।रक्षा मंत्रालय के मुताबिक कक्षा छह के एनसीईआरटी पाठ्यक्रम में ‘राष्ट्रीय युद्ध स्मारक’ पर कविता और ‘वीर अब्दुल हमीद’ पर अध्याय शामिल किया गया है।अब्दुल हमीद भारतीय सेना की 4 ग्रेनेडियर के जवान (सीक्यूएमएच) थे। उन्होंने 1965 के भारत-पाक युद्ध के दौरान खेमकरण सेक्टर के आसल उत्ताड़ में लड़े गए युद्ध में अद्भुत वीरता का प्रदर्शन करते हुए वीरगति प्राप्त की थी। इसके लिए उन्हें मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च सेना पुरस्कार ‘परमवीर चक्र’ से सम्मानित किया गया था।

शहीद होने से पहले परमवीर अब्दुल हमीद ने अपनी गन माउन्टेड जीप से पाकिस्तान के पैटन टैंकों को नष्ट किया था।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 और स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा 2023 के अनुरूप अब ये पाठ्यक्रम विकसित किए गए हैं।रक्षा मंत्रालय का कहना है कि ‘राष्ट्रीय युद्ध स्मारक’ कविता और ‘वीर अब्दुल हमीद’ नामक अध्याय को इसी वर्ष से कक्षा छह के एनसीईआरटी पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है। यह रक्षा मंत्रालय और शिक्षा मंत्रालय की संयुक्त रूप से शुरू की गई पहल है।इसका उद्देश्य स्कूली बच्चों में देशभक्ति, कर्तव्य के प्रति समर्पण, साहस और बलिदान के मूल्यों को विकसित करना है। इसके साथ ही इसका उद्देश्य राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भागीदारी को बढ़ावा देना भी है।कविता, ‘राष्ट्रीय युद्ध स्मारक’ के पीछे की भावना की सराहना करती है। वहीं, ‘वीर अब्दुल हमीद’ नामक यह अध्याय वीर अब्दुल हमीद का सम्मान करता है। जिन्होंने 1965 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान देश के लिए लड़ते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया था।गौरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने 25 फरवरी 2019 को प्रतिष्ठित सेंट्रल विस्टा ‘सी’ हेक्सागोन, इंडिया गेट, नई दिल्ली में ‘राष्ट्रीय युद्ध स्मारक’ राष्ट्र को समर्पित किया था। राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की स्थापना प्रत्येक नागरिक में उच्च नैतिक मूल्यों, बलिदान, राष्ट्रीय भावना और अपनेपन की भावना पैदा करने और उन सैनिकों को उचित श्रद्धांजलि देने के लिए की गई थी, जिन्होंने राष्ट्र की रक्षा के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए।रक्षा मंत्रालय ने स्कूली पाठ्यक्रम में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक और उससे संबंधित सामग्री को शामिल करने के लिए शिक्षा मंत्रालय व एनसीईआरटी के साथ सहयोग किया है।

Related Articles

Back to top button