मनुष्य का कार्य शैली व अच्छे कर्मो से मिलता है मोक्ष–:पंडित श्याम जी

हनुमान जी जैसे मित्र व भगवान भक्त होना असंभव

रिपोर्ट: संजय सिंह

रसड़ा (बलिया) नवापरायण पाठ एवं यज्ञ तथा सत्संग अनुष्ठान व रामचरित मानस कथा के छट्ठवे दिन बुधवार को मानस कथा विद्वत पंडित श्याम जी शास्त्री ने राम कथा पंडाल मे विशाल जन समूह को प्रवचन के माध्यम् से संबोधन मे श्रवण कराते हुए कहा कि मनुष्य अपने जीवन मे चार फल यानी सुखी जीवन प्राप्त करना चाहता है धर्म अर्थ का व मोक्ष यानी जीवन के सभी कर्मो का फल उसके जीवन मे मिले जैसे पैसा समाज मे वर्चस्व के लिए धर्म काम कर्तव्य तथा मोक्ष मतलव जीवन मरण से मुक्ति मिले ये चारो फल प्राप्त करने के लिए प्रारब्ध यानी कार्य शैली व पुरूषार्थ यानी कर्म से है बिना कर्म का कोई भी फल नही मिलता जैसे धनदौलत यानी अर्थ पैसा धर्म यानी लोगो सेवा भाव आदर सत्कार करना काम मतलब अच्छे कर्म और मोक्ष मतलब अंत समय यह नश्वर शरीर जीवन मृत्यु से छुटकारा किन्तु यह तभी संभव है यह चारो फल प्राप्त करने का मार्ग प्रारब्ध व पुरूषार्थ से है। बिना इन्ही रास्तो पर चले प्राप्त नही हो सकता है। जबकि मनुष्य इन्ही रास्तो पर चल भी रहा है। लेकिन चलने का तरीका क्या है ये जानना महत्व पूर्ण है। धर्म व मोक्ष को पुरूषार्थ के रास्ते से पा सकता है जबकि अर्थ यानी धनदौलत व काम यानी प्रारब्ध,अपने अच्छे गुणो चरित्र से यदि अर्थ (पैसा) को पुरूषार्थ से पाया जाता तो, सबसे अधिक मजदूर वर्ग के पास होता। उन्होने कहा कि मजदूर इतना श्रम करते है फिर भी उनके जीवन मे धन पैसो का अभाव सहज देखा गया है।पत्नी का सुख पुरूष के कारण होता तो आज अनेक लोग विवाह के लिए परेशान नही होना पड़ता । यह दोनो सुख, बल बुद्धि अच्छे कार्य शैली यानी प्रारब्ध के माध्यम् से प्राप्त होता है।और धर्म तथा मोक्ष को प्राप्त करने के लिए परिश्रम कार्य क्षमता उसके अच्छे कार्य शैली मेहनत, अडिग प्रण से मिल सकता है।इसी क्रम मे
अमर नाथ त्रिपाटी भदोही नवापरायण पाठ अनुष्ठान यज्ञ व सत्संग तथा राम कथा मे अपने मुखारविन्दु से रामचरित मानस कथा व्याख्या का रसपान कराते हुए कहा कि, हरि अनन्त हरिकथा अनन्ता जिसे हरि अनन्त है जिसे हरि भगवान के गुण व्याख्या कथा का अंत नही है जब भगवान राम का माता केकैयी द्वारा वर मागने पर की राम को 14 वर्ष वनबास राजा भरत को राज, तो दशरथ जी (पिता जी) के राम ने वचन का पालन व आज्ञा का पालन करने के लिए वनगमन, वन को निकले अनुज लक्षमण व माता सीता के साथ वन मे रहने पर रावण द्वारा माता सीता का हरण करने पर वन मे भटकते हनुमान जी जैसे मित्र मिले और भगवान राम के साथ मित्रता निभाई। आज हम अपने धर्म कर्म से विमुख होकर अपने संस्कृति संस्कार को भूलाकर स्वार्थ मे अपने भलाई के लिए गलत राह पर चलकर सही इष्ट मित्र को भूल कर केवल अपने परिवार मे सिमटे हुए है माता पिता का त्याग उनके सेवा सत्कार आदर आज्ञा का पालन छोड़, जिसे सत्कर्म का मार्ग छोड़ गलत मार्ग पर चलने या अपनाने मे लगे है सगे सबंधी इष्ट मित्र से दूरी बनाकर गलत राह पर चलने वाले के संगत कर रहे है दोस्त मित्र की पहचान, दोस्त मित्र कैसा होना चाहिए वह कलयुग मे असंभव है आज के दौर मे मित्र बिना स्वार्थ के नही मिलते। किन्तु भगवान राम के पवन सुत हनुमान जी भगवान राम के सच्चे मित्र व सच्चे सबसे बड़े भक्त थे मित्र का कर्तव्य क्या होता है वह हनुमान जी के जीवन उनके चरित्र से सिख मिलता है। उनके अनुशरण को हमे अपनाना से ही सही मित्र दोस्त का पहचान होगा संकट की घड़ी मे जो व्यक्ति साथ देता है वही सच्चा मित्र होता है उन्होने कहा कि श्री राम के अनुज भाई लक्ष्मण पर जब बिपति संकट आयी मूर्छित थे तो राम का धैर्य काम नही कर रहा था जिसे हनुमान जी लंका से सुखेनवैद्य को लाये और सुखेन वैद्य द्वारा बताये जाने पर संजीवनी बुटी लाकर लक्षमण जी का प्राण बचाये। पूरी बानरी सेना का संचालन करना सुग्रीव से मित्रता कराना। जोड़ने का काम हनुमान जी किया। जिससे किसी तरह का संकट आने पर नि:स्वार्थ साथ देना वही परम् मित्र होता है यह हमे कथा श्रवण करने व सत्संग से मिलता है अज्ञानता का ज्ञानता, संत्संग से मिलता जिससे मनुष्य जीवन मे किसी तरह का संकट दु:ख विपति परेशानी को ज्ञान रहे, धैर्य रख, दूर किया जा सकता है इसी क्रम मे राम कथा के मर्मज्ञ अमरमणि साण्डिलय चुटुकिया बाबा ने अपने मुखार विन्दु से कथा का विस्तार पूर्वक संबोधन मे भगवत कथा का सुनने से मनुष्य का जीवन सुखमय व सफल हो जाता है।उपस्थित हजारो महिला पुरूष बूढ़े बुजुर्ग को अपने जीवन मे थोड़ा समय निकाल कर सत्संग व कथा सुनने के लिए समय देना भगवान ईश्वर के प्रति समर्पित होना चाहिए जिससे भगवान स्वीकार करते है।
इस अनुष्ठान मे विशेष सहयोग सफल बनाने मे श्रीनाथ मठ के मठाधीश कौशेलेन्द्र गिरि अशोक गुप्ता दीना सिंह राम जी काका मिंटू अग्रवाल राम जी स्टेट बावन जी आदि रहे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button