Burhanpur news:भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में बुरहानपुर की धरती पर जन्मे डॉ किशन प्रसाद मिश्रा जी की जयंती पर नमन
23 जुलाई 1915 – 16 जनवरी 2000
रिपोर्ट:रुपेश वर्मा
बुरहानपुर:किशन प्रसाद मिश्रा आत्मज बालाप्रसाद मिश्रा का जन्म 23 जुलाई, 1915 ई. को बुरहानपुर में हुआ। आपकी प्रारंभिक शिक्षा बुरहानपुर तथा खंड़वा में हुई। जीविकोपार्जन की दृष्टि से आपने आर.एम.पी. का प्रमाणपत्र प्राप्त कर बुरहानपुर में चिकित्सक का व्यवसाय प्रारंभ किया। भारत छोड़ो आंदोलन आजादी के युद्ध की अंतिम लड़ाई थी। इससे मिश्रा भी अछूते न रहे और चिकित्सा व्यवसाय के साथ राष्ट्रीय आन्दोलन की छोटी-मोटी गतिविधियों में सम्मिलित होने लगे। आन्दोलन की गतिविधियों को जन साधारण के बीच पहुँचाने के लिये कांग्रेस पत्रिका का प्रकाशन होता था। लेकिन इसे जन-जन तक पहुँचाना खतरे से खाली न था। मिश्र ने इस दायित्व को संभाल रखा था क्योंकि एक चिकित्सक होने के कारण वे संदेह से परे माने जाते थे। बुरहानपुर कांग्रेस के सर्वमान्य नेता मार्तण्डराव मजूमदार जो सन् 1917 में लोकमान्य तिलक के होमरूल आन्दोलन के अंतर्गत बुरहानपुर आये व यहीं बस गये थे। इन पर पुलिस की नजर थी। अतः भारत छोड़ो आन्दोलन की रात गिरफ्तार कर जेल में ड़ाल दिया। इस घटना को जनसाधरण तक पहुँचाने का दायित्व मिश्रा के पास था। खबर महत्वपूर्ण थी। अतः बोर्ड लेखन जरूरी था। मिश्रा ने जोखम उठाई और वे पुलिस के रडार पर आ गये। मिश्रा को मजूमदार के बोर्ड लेखन के अपराध में 11 अगस्त, 1942 को गिरफ्तार कर न्यायालय में प्रस्तुत किया जहाँ उन्हें 9 मास के कारावास की सजा दी गई। आपने लगभग 09 माह की कारावास की सजा खण्ड़वा तथा जबलपुर की केन्द्रीय जेल में काटी। देश की आजादी के बाद भी मिश्रा कांग्रेस के रचनात्मक आन्दोलन से जुड़े रहे।