सीएम धामी ने अधिकारियों से उत्तरकाशी वरुणावत भूस्खलन क्षेत्र के अध्ययन के लिए आईआईटी रूड़की और टीएचडीसी से सहयोग लेने को कहा
CM Dhami asked the officials to seek cooperation from IIT Roorkee and THDC for study of Uttarkashi Varunawat landslide area
देहरादून,( उत्तराखंड )उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने गुरुवार को वीडियो क्रांन्फ्रेसिंग के माध्यम से सचिवालय में उच्चाधिकारियों एवं सभी जिलाधिकारियों के साथ आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास से संबंधित कार्यों की समीक्षा की। मुख्यमंत्री धामी ने सभी जिलाधिकारियों से जनपदों में अतिवृष्टि से हुए नुकसान तथा राहत एवं बचाव कार्यों की जानकारी ली।
मुख्यमंत्री धामी ने जिलाधिकारी उत्तरकाशी को वरुणावत भूस्खलन क्षेत्र के तकनीकी अध्ययन के लिए आईआईटी रुड़की एवं टीएचडीसी से सहयोग के निर्देश देते हुए कहा कि इस संबंध में पूर्व में हुए अध्ययनों का भी संज्ञान लिया जाए, ताकि लैंडस्लाइड जोन के उपचार की प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चित हो। उन्होंने जानकीचट्टी के आसपास के क्षेत्रों के उपचार एवं विस्तारीकरण के कार्यों में भी तेजी लाए जाने के निर्देश दिए।मुख्यमंत्री धामी ने सचिवालय में आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास से संबंधित कार्यों की समीक्षा के दौरान उच्चाधिकारियों एवं वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े जिलाधिकारियों से अतिवृष्टि से हुए नुकसान तथा राहत एवं बचाव कार्यों की जानकारी ली। जिलाधिकारी उत्तरकाशी को वरुणावत लैंडस्लाइड जोन के उपचार की प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। इस हेतु आईआईटी रुड़की एवं टीएचडीसी की भी मदद ली लेने को कहा। साथ ही जानकीचट्टी के आसपास के क्षेत्रों के उपचार एवं विस्तारीकरण के कार्यों में भी तेजी लाए जाने के निर्देश दिए।मुख्यमंत्री धामी ने सभी जिलाधिकारियों से भूस्खलन क्षेत्रों की सूची तैयार करने तथा बरसात समाप्त होते ही सड़क मरम्मत सहित अन्य पुनर्निर्माण योजनाओं पर तेजी से कार्य किए जाने के लिए टेंडर प्रक्रिया अविलंब प्रारंभ करने को कहा। उन्होंने चारधाम यात्रा मार्ग के मरम्मत के साथ ही भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों तथा रेनफाल की स्थिति की भी तकनीकी संस्थानों से अध्ययन कराए जाने के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा के कारण विकास कार्य प्रभावित न हो इस दिशा में भी ध्यान दिया जाए। उन्होंने 7-8 जुलाई को सितारंगज, टनकपुर, बनबसा तथा तराई भाबर के क्षेत्रों में दशकों बाद जलजमाव होने तथा बाढ़ की स्थिति पैदा होने की स्थिति के भी अध्ययन की जरूरत बताई। उन्होंने जल निकासी प्रणाली तथा ड्रेनेज सिस्टम को और प्रभावी बनाए जाने के भी निर्देश दिए।मुख्यमंत्री ने प्रदेश में आपदा के दौरान राहत एवं बचाव कार्यों की जिलाधिकारियों के प्रयासों की सराहना करते हुए इसके रिस्पांस टाइम को और बेहतर बनाए जाने को कहा। उन्होंने कहा कि आपदा पीड़ितों की तुरंत मदद करना हमारी जिम्मेदारी है। हम आपदा को रोक तो नहीं सकते हैं, लेकिन उसके प्रभाव को पीड़ितों की मदद करके कम कर सकते हैं। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों से वृक्षारोपण की रिपोर्ट तैयार करने तथा अमृत सरोवरों की स्थिति की भी जानकारी उपलब्ध कराने को कहा। सभी कार्य धरातल पर दिखाई दे, यह भी सुनिश्चित किया जाए।मुख्यमंत्री ने कहा कि सितंबर में भी भारी वर्ष की संभावना के दृष्टिगत सभी अधिकारी सतर्क रहें तथा वर्षा के बाद होने वाली बीमारियों की रोकथाम के लिए प्रभावी कार्ययोजना तैयार किए जाने के निर्देश दिए। सचिव आपदा प्रबंधन विनोद कुमार सुमन ने प्रस्तुतीकरण के माध्यम से प्रदेश में आपदा की स्थिति, राहत, पुनर्वास आदि कार्यों की विस्तृत जानकारी दी।बैठक में उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन के उपाध्यक्ष विनय रोहिला, उपाध्यक्ष अवस्थापना अनुश्रवण परिषद् विश्वास डाबर, प्रमुख सचिव आर.के सुधांशु, गढ़वाल कमिश्नर विनय शंकर पाण्डेय, सचिव आर.राजेश कुमार, एस.एन. पाण्डेय, रविनाथ रामन, डॉ पंकज कुमार पांडे, प्रमुख वन संरक्षक डॉ. धनंजय मोहन सहित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, बी.आर.ओ के अधिकारियों के साथ वर्चुअल माध्यम से सभी जिलाधिकारी उपस्थित थे।