आजमगढ़:कजरी महोत्सव में जब मालनी अवस्थी ने कजरी की दौड़ाई रेल तब लाऊडिस्पिकर होगया फेल

Azamgarh:

रिपोर्ट:रोशन लाल

आजमगढ़ जिला के हरिहरपुर गांव में स्थित संगीत विद्यालय में तीन दिवसीय कजरी महोत्सव का कार्यक्रम किया गया था।
जो २६ अगस्त से प्रारंभ होकर २८ अगस्त तक चला। इस कार्यक्रम में प्रदेश के कोने कोने से महिला व पुरुष कलाकार पधारे हुए थे।


बड़े कलाकारों में अनूप जलोटा मालनी अवस्थी जैसी हस्तियां भी पधारी हुईं थीं। इस महोत्सव में कार्यक्रम के अंतिम दिन मालनी अवस्थी जी का प्रोग्राम था।इसके अलावा भी बोकारो झारखंड से रंजना राय वाराणसी जौनपुर, देवरिया,बलिया,अंबेडकर नगर, फैजाबाद, सुल्तानपुर,प्रयाग राज गोरखपुर मऊ सहित आदि जिलों से कलाकार पधारे हुए थे।सभी लोगों ने अपनी प्रस्तुतियां दिया। इन कलाकारों को आयोजक द्वारा इस्मृत चिन्ह और अंग वस्त्र देकर सम्मानित भी किया गया। महोत्सव के आखिरी दिन मालनी अवस्थी से पहले हरिहरपुर गांव की रहने वाली सारिका दास ने कजरी गया कि?
पिया मेहदी लियाद मोती झील से जाके साइकिल से ना।
जिसे सुनते ही दर्शक भाव विहोर होगए और खूब तालियां बजाया।इसके बाद बोकारो झारखंड से पधारी रंजना राय ने कजरी गया कि ?
हमके सावन में झूलनी गढ़ाद पिया, जिया बहलाद पिया ना।जिसे सुनते ही दर्शकों ने खूब तालियां बजाई।किंतु जब मालनी अवस्थी जी ने कजरी गाना प्रारंभ किया तभी माइक डिस्टर्ब होने लगा। और किसी तरह से दोचार कजरी गाने के बाद उनको मजबूर होकर बोलना पड़ा कि उनको जीवन में इतना खराब माइक कभी नहीं पाया था।इसके बाद भी जब उन्होंने कजरी गाना प्रारंभ किया तो मालिनी जी की आवाज और अंदाज़ के दीवाने तालियां बजाकर झूमने लगे। जब मालिनी जी ने यह कजरी गया कि ?
चाहे भईया रहें चाहे जाएं हो
सवनवां में ना जयिबों ननदी
इसके बाद
मिर्जापुर कयिला गुलजार हो
कचौड़ी गली सून कयिला बलमू
यह कजरी सुनते ही जनता तो जंता वहां मौजूद अधिकारी भी अपने आपको नहीं रोक पाए खुशियों से झूम उठे और तालियां बजाकर मालिनी जी का हौसला बढ़ाने लगे।

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