अद्भुत अटल: जब अंतरराष्ट्रीय मंच से वाजपेयी ने बताई पाकिस्तान की सच्चाई, सच साबित हुई भविष्यवाणी
Wonderful Atal: When Vajpayee told the truth about Pakistan from the international stage, the prediction proved true
नई दिल्ली: तारीख साधारण भी होती है और असाधारण भी। इनमें से एक तारीख है 8 सितंबर 2000 की, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्र के मंच से पाकिस्तान को हिंदी में भाषण देते हुए आतंकवाद के मुद्दे पर जमकर लताड़ लगाई थी।दरअसल, नेटफ्लिक्स की वेब सीरीज ‘आईसी 814 : द कंधार हाईजैक’ पर तथ्यों को गलत तरीके से पेश करने का आरोप लगा। सीरीज में आतंकियों के नाम को लेकर विवाद बढ़ा तो सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने फटकार लगाई। इसके बाद अब सीरीज में डिस्क्लेमर के साथ आंतकियों के असल नाम जोड़े गए।इस सीरीज का जिक्र इसलिए क्योंकि, ‘कंधार हाईजैक’ के बाद भारत ने पाकिस्तान को लेकर अपना अप्रोच बदला और सभी अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाक प्रायोजित आतंकवाद को प्रमुखता से रखना शुरू किया। वाजपेयी जी भी उसी को लेकर आगे बढ़े।24 दिसंबर 1999 को हुए कंधार हाईजैक के समय भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे। इस घटना के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने विभिन्न मंचों से पाकिस्तान को खूब लताड़ लगाई थी। पाकिस्तान और आईएसआई का सच दुनिया के सामने रखा और आगे चलकर यह भारत की विदेश नीति में भी दिखा।वाजपेयी जी ने कहा था, ”आप दोस्त बदल सकते हैं, पड़ोसी नहीं।” इसके साथ ही उन्होंने पाक प्रायोजित आतंकवाद पर भी कठोर रुख अपनाया था। 1999 के करगिल युद्ध से भी भारतीय जनमानस पाकिस्तान के प्रति काफी नाराज था। यही कारण रहा कि जब वाजपेयी जी मंच से गरजे तो दुनिया शांति से सुनती रही।साल 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी ने ‘संयुक्त राष्ट्र सहस्त्राब्दी शिखर सम्मेलन’ को संबोधित किया था। संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए वाजपेयी जी ने पाकिस्तान और पूरी दुनिया को कई खास नसीहत दी थी। उन्होंने आतंकवाद, परमाणु युद्ध के खतरे और भारत के परमाणु कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी थी।वाजपेयी जी ने कहा था, “पाकिस्तान के साथ सामान्य संबंध बनाने की कोशिशें हमारी कमजोरी का प्रतीक नहीं हैं, बल्कि ये तमाम कोशिशें शांति के लिए हमारी प्रतिबद्धता की संकेत हैं।”उन्होंने कहा था, “भारत की नीति ‘वसुधैव कुटुंबकम’ की है। लेकिन, भारत के लिए राष्ट्रहित से बढ़कर कुछ नहीं है। भारत शांतिप्रिय राष्ट्र है। लेकिन, अपनी और नागरिकों की सुरक्षा के लिए भी तत्पर है। आतंकवाद खत्म करना जरुरी है, क्योंकि, सिर्फ भारत नहीं, आप भी (अन्य राष्ट्र) भुक्तभोगी हो सकते हैं।”वाजपेयी जी ने पाकिस्तान की सच्चाई बताने के अलावा उसके साथ शांति प्रयासों को भी निरंतर बनाए रखा। उन्होंने ‘लाहौर बस यात्रा’ भी की। वाजपेयी जी ने साल 2001 में एक बार फिर से संयुक्त राष्ट्र महासभा के 56वें सत्र को संबोधित किया था।इस दौरान भी उन्होंने कुछ देशों की आतंकवाद प्रायोजित करने की नीति पर बात की थी। यह सत्र अमेरिका पर 9/11 के आतंकी हमले के बाद हुआ था। वहीं, आतंकवाद को लेकर वाजपेयी जी का नजरिया दुनियाभर के सामने सही साबित भी हुआ था।