बलिया मुकद्दस माहे रमजान (आखरी)अलविदा जुमा की नमाज अदाकर मुल्क व लोगो की सलामती की दुआ की

रिपोर्ट संजय सिंह

रसड़ा (बलिया) मुकद्दस माहे रमजान यानी रमजानुल मुबारक पाक माह के 25 वां रोजा शुक्रवार जुमा के दिन एक दिन पहले जुमेरात को भोर मे सेहरी कर अलविदा जुमे को रोजा रखा व पांच वक्त की नमाज एहतमाम के साथ अदा कर अल्लाहताला से इबादत की। अलविदा जुमे के दिन काफी संख्या मे अपने अलग अलग मस्जिदो मे जुमे नमाज अदा कर मुल्ककी सलामति व अपने सभी के लिए दुआ की। इस दौरान 30 रोजा रखने के बाद तीसवां दिन आने वाले मुस्लिमो का त्योहार ईद खुशी का त्योहार है जिसे रमजान के पाक महीने मे एक माह रोजा रख 30 वां दिन मनाया जाता है जिसमें भाई चारा के आलावा आपसी द्वेश बैर को भुलाकर बुराइयो से दूर रहकर आपस मे मेल मिलाप एक दूसरे से गले मिलने का व खुशियो मनाने का त्योहार है। जिसे इस त्योहार के आने पर रमजान का पाक महीना मे नेक इंसान बनने का नसीहत देता है। रमजान माह इसलाम मे खिदमत इबादत रहमत बुराइयो का त्याग कर आपसी बैर भाव दुशमनी भुलाकर समर्पण का प्रतिक है। रमजान माह के पाक महीने मे रोजा रखने वालो के बारे मौलाना हाफिज करहानी कहते है कि इस माह मे जन्नत का दरवाजा खुल जाता है। जो रोजा रखता है उसको जन्नत नशीब होता है रमजान पाक माहे तीन असरा होता है।जिसमे पहला असरा रहमत यानी 10 दिन सभी गलतियो को अल्लाह से माफी मागने रहम की दुआ करने का है जिसे वे रहम करता है जिसे अपनी गुनाहो गलतियो बुराइयो को दूर करने के लिये रहम की दुआ करनी चाहिए दूसरे असरे मे 10 रोज सभी गलत काम व बुराइयो को माफी मागने का है। तीसरा असरा का 10 रोज, दोजख यानी अल्लाह से दुआ कर किये गये सभी बुराइयो गलत किये गये गुनाहो के लिए अल्लाह से आजादी दिलाने का है। रमजान मे अल्लाह से इबादत करनी चाहिए इस रमजान के महीने अपने आमदनी का गरीबो मजलूमो असहायो को मदद करने से अल्लाह खुश होते है। रमजान माह मे रोजा रखने वाले को सेहरी व इफ्तार का खास ख्याल रखना चाहिए। रोजेदारो पर अल्रलाहताला रहमतो का वारिस करता है। सच्चे ईमान एवं मन व अल्लाह पर भरोसा रखने वाले को जन्नत का दरवाजा खुला रखता है। उन्होने कहा कि अंधेरो को नूर देता है उनके जिक्र करने वालो सुरूर देता है उससे या उसके दर जो भी मागों जरूर देता है अलविदा जुमा मुबारक हो।

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