हनुमान जी जैसे मित्र व भगवान भक्त होना असंभव
रिपोर्ट: संजय सिंह
रसड़ा (बलिया) नवापरायण पाठ एवं यज्ञ तथा सत्संग अनुष्ठान व रामचरित मानस कथा के पांचवे दिन बुधवार को मानस कथा विद्वत अमर नाथ त्रिपाटी भदोही नवापरायण पाठ अनुष्ठान यज्ञ व सत्संग तथा राम कथा मे अपने मुखारविन्दु से रामचरित मानस कथा व्याख्या का रसपान कराते हुए कहा कि, हरि अनन्त हरिकथा अनन्ता जिसे हरि अनन्त है और उनके कथा का अंत नही है जब भगवान राम का माता केकैयी द्वारा वर मागने पर की राम को 14 वर्ष वनबास राजा दशरथ जी पिता जी के राम ने वचन का पालन आज्ञा का पालन करने के लिए वनगमन, वन को निकले अनुज लक्षमण व माता सीता के साथ वन मे रहने पर रावण द्वारा माता सीता का हरण करने पर वन मे भटकते हनुमान जी जैसे मित्र मिले और भगवान राम के साथ मित्रता निभाई। आज हम अपने धर्म से विमुख होकर अपने संस्कृति संस्कार को भूलाकर स्वार्थ मे अपने भलाई के लिए गलत राह पर चलकर इष्ट मित्र को भूल कर अपने परिवार मे सिमटे हुए है जिसे सत्कर्म का मार्ग छोड़ गलत मार्ग पर चलने या अपनाने मे लगे है सगे सबंधी इष्ट मित्र से दूरी बनाकर गलत राह पर चलने वाले के संगत कर रहे है दोस्त मित्र की पहचान, दोस्त मित्र कैसा होना चाहिए वह कलयुग मे असंभव है आज के दौर मे मित्र बिना स्वार्थ के नही मिलते। किन्तु भगवान राम के पवन सुत हनुमान जी भगवान राम के सच्चे मित्र व सच्चे सबसे बड़े भक्त थे मित्र का कर्तव्य क्या होता है वह हनुमान जी के जीवन उनके चरित्र से सिख मिलता है। उनके अनुशरण को हमे अपनाना से ही सही मित्र दोस्त का पहचान होगा संकट की घड़ी मे जो व्यक्ति साथ देता है वही सच्चा मित्र होता है उन्होने कहा कि श्री राम के अनुज भाई लक्ष्मण पर जब बिपति संकट आयी मूर्छित थे तो राम का धैर्य काम नही कर रहा था जिसे हनुमान जी लंका से सुखेनवैद्य को लाये और सुखेन वैद्य द्वारा बताये जाने पर संजीवनी बुटी लाकर लक्षमण जी का प्राण बचाये। पूरी बानरी सेना का संचालन करना सुग्रीव से मित्रता कराना। किसी तरह का संकट आने पर नि:स्वार्थ साथ देना वही परम् मित्र होता है यह हमे कथा श्रवण करने व सत्संग से मिलता है अज्ञानता का ज्ञानता, संत्संग से मिलता जिससे मनुष्य जीवन मे किसी तरह का संकट दु:ख विपति परेशानी को ज्ञान रहे, धैर्य रख, दूर किया जा सकता है इसी क्रम मे राम कथा के मर्मज्ञ अमरमणि साण्डिलय चुटुकिया बाबा ने अपने मुखार विन्दु से कथा का विस्तार पूर्वक संबोधन मे भगवत कथा का सुनने से मनुष्य का जीवन सुखमय व सफल हो जाता है।उपस्थित हजारो महिला पुरूष बूढ़े बुजुर्ग को अपने जीवन मे थोड़ा समय निकाल कर सत्संग व कथा सुनने के लिए समय देना भगवान ईश्वर के प्रति समर्पित होना चाहिए जिससे भगवान स्वीकार करते है।
इस अनुष्ठान मे विशेष सहयोग सफल बनाने मे श्रीनाथ मठ के मठाधीश कौशेलेन्द्र गिरि अशोक गुप्ता दीना सिंह राम जी काका मिंटू अग्रवाल राम जी स्टेट बावन जी आदि रहे।