शिवपाल यादव का बदायूं से इनकार, बेटे आदित्य को उतारने का ऐलान

रिपोर्ट:अशहद शेख

यूपी के बदायूं लोकसभा सीट से सपा प्रत्याशी शिवपाल यादव ने अपना नाम वापस ले लिया है। उन्होंने अपने स्थान पर बेटे आदित्य यादव को चुनाव लड़ाने का ऐलान किया। गुन्नौर विधानसभा क्षेत्र के बबराला में मंगलवार को आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन में शिवपाल यादव ने यह घोषणा की।उन्होंने कहा कि इस पर राष्ट्रीय नेतृत्व फैसला करेगा। सपा नेता शिवपाल सिंह यादव ने बबरााला में फीता काटकर चुनाव कार्यालय का उद्घाटन किया। इस दौरान आयोजित कार्यकर्ता सम्मेलन में शिवपाल यादव ने कहा कि बदायूं लोकसभा क्षेत्र की बिसौली, सहसवान और बदायूं विधानसभा क्षेत्र में हुए सम्मेलन में जनता ने आदित्य यादव का नाम बदायूं लोकसभा से प्रत्याशी बनाने के लिए रखा है।गुन्नौर विधानसभा के कार्यकर्ता सम्मेलन में भी आदित्य यादव को बदायूं लोकसभा से चुनाव लड़ाने के लिए नाम की घोषणा कर दी गई है। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं की इच्छा का सम्मान किया जाएगा। अब नाम घोषित कर दिया गया है, लेकिन फैसला राष्ट्रीय नेतृत्व को लेना है। उन्होंने कहा कि जब चार विधानसभा सम्मेलनों में कार्यकर्ताओं ने आदित्य यादव का नाम रख दिया है तो फिर मैं अपना नाम आपके सामने से वापस लेता हूं और मैं अपना नाम इसलिए वापस लेता हूं कि जब अखिलेश यादव पहली बार कन्नौज से सांसद बने थे, तो 26 साल के थे। धर्मेंद्र यादव जब मैनपुरी से सांसद बने थे, तो 25 साल के थे। अखिलेश सबसे युवा मुंख्यमंत्री बने थे। हम तो युवाओं से भी कहना चाहते हैं कि उन्हें आगे आना चाहिए। हम तो बुजुर्ग हो चले हैं। जब सीढ़ियों पर चढ़ते हैं, तो नौजवानों का सहारा लेना पड़ता है।अपने बेटे को सियासत में स्थापित करने की चाहत में शिवपाल यादव अब बदायूं सीट से लड़ने के मूड में नहीं है। वह चाहते हैं कि पार्टी उनकी जगह बेटे को लड़ा दे। इस पर निर्णय अखिलेश यादव को लेना है। वैसे बदायूं सपा के तमाम नेता व पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव भी आदित्य की उम्मीदवारी के समर्थन में बताए जाते हैं। शिवपाल यादव की चाहत का समर्थन स्थानीय यूनिट ने भी किया है। संभव है कि शिवपाल की जगह आदित्य यादव पार्टी प्रत्याशी घोषित हो जाएं।असल में शिवपाल की खुद से ज्यादा चिंता बेटे की है। मुलायम परिवार में अखिलेश की पीढ़ी वाले अक्षय यादव, धर्मेंद्र यादव, डिंपल यादव व अर्पणा यादव जहां लोकसभा या विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। अर्पणा को छोड़ सभी कभी न कभी जीते भी हैं। यही नहीं मुलायम के पौत्र व अखिलेश के भतीजे तेज प्रताप को भी मैनपुरी उपचुनाव लड़ कर सांसद बनने का मौका मिल गया। वहीं आदित्य यादव को अभी तक न विधानसभा का चुनाव लड़ने का मौका मिला और न लोकसभा का। पार्टी ने पहले धर्मेंद्र यादव को बदायूं से टिकट तय किया था लेकिन बाद में पार्टी ने फैसला बदला और धर्मेंद्र यादव बदायूं की बजाए आजमगढ़ से चुनाव लड़ने भेज दिया,धर्मेंद्र यादव आजमगढ़ से पिछला उपचुनाव लड़े थे लेकिन हार गए थे। पार्टी ने इस बार बसपा के प्रमुख नेता शाह आलम गुड्डू जमाली को उतार कर समीकरण अपने पक्ष में करने की कोशिश की।उधर, जब सपा ने शिवपाल को बदायूं से प्रत्याशी बनाया इस तमाम लोगों ने हैरत जताई। सूत्रों के मुताबिक, शिवपाल नहीं चाहते थे कि वह बदायूं से लड़ें। काफी दिन की कश्मकश के बाद उन्होंने गुन्नौर व सहसवान में जाकर प्रचार किया। जाने से पहले शिवपाल यादव ने एक्स पर लिखा था, – आज से बदायूं लोकसभा क्षेत्र में जनसम्पर्क हेतु यात्रा पर हूं. मेरा इस क्षेत्र से पुराना नाता है। बदायूनी साहब के शब्दों में… कैसे कह दूं कि मुलाक़ात नहीं होती है, रोज मिलते हैं मगर बात नहीं होती है। वह अपने साथ बेटे आदित्य को भी ले गए। उन्होंने भी पार्टी का प्रचार शुरू कर दिया। एक तरह से बेटे को उन्होंने सशक्त दावेदार के रूप में पेश कर दिया। असल में शिवपाल की नजर बदायूं के बजाए संभल पर थी। वह वहां से लड़ना चाहते थे लेकिन पार्टी ने संभल से पार्टी सांसद शफीकुर्रहमान बर्क के पोते जियाउर्रहमान बर्क को उतार दिया। टिकट बदलने के इंतजार में ही शिवपाल कई दिन तक बदायूं नहीं गए। उनका दो बार दौरा स्थगित हुआ। यादव व मुस्लिम बाहुल्य बदायूं में पिछली बार भाजपा की संघमित्रा मौर्य ने धर्मेंद्र यादव को हराया था। अब भाजपा ने संघमित्रा का टिकट काट दिया है,सपा के राष्ट्रीय महासचिव सलीम इकबाल शेरवानी ने राज्यसभा के लिए टिकट बटवारे से नाराज होकर पार्टी छोड़ दी। उन्हीं के साथ राष्ट्रीय सचिव आबिद रजा ने भी इस्तीफा दे दिया। सलीम इकबाद शेरवानी बदायूं से पांच बार सांसद रहे हैं। उनकी ताकत अब सपा के लिए मुश्किल पैदा कर रही है लेकिन शिवपाल यादव का मानना है कि अगर आदित्य यादव चुनाव लड़ते हैं तो संभव है कि सलीम इकबाल शेरवानी समर्थन दे दें। शिवपाल यादव पिछला चुनाव अपनी पार्टी प्रसपा के जरिए फिरोजाबाद से लड़े थे। उनके सामने भतीजे व सपा प्रत्याशी अक्षय यादव थे। आपसी लड़ाई में अक्षय यादव व शिवपाल में कोई नहीं जीता। बाजी भाजपा के हाथ लगी।

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