मऊ:रोज़ा हमे गुनाहों से बचाने के साथ अल्लाह के नजदीक लेजाता है-मौलाना शमशाद

रिपोर्ट: अशोक श्रीवास्तव

 

घोसी/मऊ:इस्लाम धर्म के सबसे पवित्र महीना रमजान में केवल भूखें प्यासे रहना ही रोजा नहीं है बल्कि हर बुराइयों से बच कर अच्छाईयों के मार्ग पर चलना ही रोजा है ।इसके अतिरिक्त बुराई की तरफ सोचना भी व्यर्थ और रोजा टूटने के समान है।इसलिए सपने में भी बुराई को मन में न आने दें ।

 

घोसी नगर के मदापुर समसपुर स्थित मदरसा खैरूल मदारिस के मौलाना शमशाद अहमद ने कहाकि रोजा का मतलब अपने अंदर व्याप्त बुराइयों को त्याग कर अच्छाइयों के मार्ग पर चलकर नेकी एवं गरीब ,असहाय की मदद करना है।रमजान के महीने में रोजेदार को नेकियों का फल/ लाभ 70 गुना ज्यादा मिलता है।उन्होंने कहाकि रोजा का मतलब केवल भूखें प्यासे रहना नहीं है ,बल्कि बुराइयों का परित्याग कर अच्छाइयों के मार्ग पर चलकर दीन दुःखियों की सेवा एवं मदद करना है।यदि कोई पड़ोसी भूखें सोता है तो हमारा रोजा मुकम्मल नहीं हुआ ।इसका भी ध्यान रखें कि मेरा पड़ोसी एवं सगे संबंधी भी खुशहाल रहे तथा उनकी भी रोजा हो सकें।

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