आजमगढ़:फाइलेरिया एक गंभीर व लाइलाज बीमारी है इसको गंभीरता से लें
फाइलेरिया, एक गंभीर व लाइलाज बीमारी है। किसी व्यक्ति के अंदर एक बार इस बीमारी के लक्षण आ जाएं तो यह आजीवन रोगी के स्वास्थ्य के साथ-साथ उसके सामाजिक व आर्थिक जीवन को भी बहुत अधिक प्रभावित करता है। इस बीमारी के उन्मूलन के लिए जहां एक ओर सरकार प्रतिबद्ध है वहीं स्वास्थ्य विभाग के साथ जुड़कर स्वयंसेवी संस्थाएं भी इसके उन्मूलन में सहयोग कर रहीं हैं ।इसी के तहत संस्था सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) फाइलेरिया मरीजों को पेशेंट स्टेक होल्डर प्लेटफॉर्म से जोड़कर जहां एक ओर उन्हें प्रभावित अंगों की देखभाल के प्रबंधन में सहयोग कर रही है वहीं मरीजों के माध्यम से आम जनमानस में इस रोग से बचाव के लिए जागरूकता भी लायी जा रही है। सीफार के सहयोग से अतरौलिया व मिर्ज़ापुर ब्लॉक में पेशेंट स्टेक होल्डर प्लेटफॉर्म बनाए गए हैं। इसमें फाइलेरिया ग्रसित रोगियों के साथ कोटेदार, ग्राम प्रधान, शिक्षक आदि स्टेकहोल्डर के रूप में जुड़कर फाइलेरिया उन्मूलन अभियान में सरकार का सहयोग कर रहे हैं। साथ ही समुदाय को जागरूक करने में भी अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं।
अतरौलिया ब्लॉक छ्तौनी निवासी जितेंद्र पिछले 20 सालों से फाइलेरिया यानि हाथीपांव बीमारी है । इसकी वजह से उनका दाहिने पैर में सूजन रहती है। जितेंद्र कहते हैं शुरुआत में कई जगह इलाज कराया लेकिन कोई आराम नहीं मिला और पैसे भी खर्च हो गए। क्षेत्र की आशा कार्यकर्ता से मुलाक़ात हुई तो पता चला कि यह बीमारी मच्छर काटने से होती है और इसके लक्षण 5 से 15 साल बाद दिखाई देते हैं। एक बार लक्षण आ जाएं तो इसका कोई उपचार नहीं है। यह रोग न हो इसके लिए सरकार साल में एक बार इससे बचाव की दवा का सेवन सभी को कराती है। साल में एक बार और पाँच साल तक इन दवाओं के सेवन से इस बीमारी का खतरा नहीं रहता ।जितेंद्र कहते हैं लक्षण दिखने से पहले अगर मैंने फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन कर लिया होता तो आज मैं इस बीमारी से नहीं जूझ रहा होता। ऐसे में बीमारी की गंभीरता देखते हुए पिछले तीन सालों से लगातार फाइलेरिया रोधी दवा खा रहे हैं और परिवार के सभी सदस्यों को भी दवा का सेवन करा रहे हैं। साथ ही पेशेंट स्टेक होल्डर प्लेटफॉर्म के साथ जुड़कर अपने पैर की देखभाल कर रहे हैं। वह कहते हैं यह बीमारी किसी और को न हो इसके लिए लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन करने के बारे में लोगों को बताते हैं। कहते हैं कि मैंने दवा न खाने की गलती की है, लेकिन आप यह गलती न करें। साल में एक बार फाइलेरिया से बचाव की दवा जरूर खाएं और अन्य लोगों को भी दवा सेवन करने के लिए प्रेरित करें।इसके अलावा अतरौलिया के लोहरा ग्राम में बने पेशेंट स्टेक होल्डर प्लेटफॉर्म के सदस्य व ग्राम प्रधान शिखा व उनके प्रतिनिधि राज कपूर, कोटेदार आनंद सिंह भी वर्तमान में चलाए जा रहे फाइलेरिया 28 फरवरी तक चलाये जा रहे सामूहिक दवा सेवन के लिए लोगों को जागरूक कर रहे हैं। कोटेदार आनंद सिंह का कहना है कि जो भी राशन लेने आ रहा है, उसको दवा खाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं, उनमें से कई लोग स्वास्थ्य कर्मियों के सामने दवा भी खा चुके हैं। इसी तरह मिर्ज़ापुर के पिंडरा गाँव में बने पेशेंट स्टेक होल्डर प्लेटफॉर्म के सदस्य व प्रधान रामअजर और कोटेदार जय प्रकाश भी अभियान में सम्पूर्ण सहयोग कर रहे हैं। कोटेदार का कहना है कि राशन वितरण वाले दिन ही उन्होंने बूथ लगाकर आधे से ज्यादा लाभार्थियों को सामने ही दवा का सेवन कराया। आगे भी इसी तरह अन्य लोगों को दवाका सेवन कराएंगे।
क्या है पेशेंट स्टेक होल्डर प्लेटफॉर्म – अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी एवं वेक्टर बोर्न कंट्रोल कार्यक्रम के नोडल अधिकारी डॉ एके चौधरी ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के तत्वावधान में स्वयं सेवी संस्था सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) के द्वारा जनपद के दो ब्लॉक अतरौलिया और मिर्ज़ापुर में कुल 18 पेशेंट स्टेक होल्डर प्लेटफॉर्म बनाए गए हैं। अतरौलिया के आठ गाँव में बनाए गए प्लेटफॉर्म में कुल 102 सदस्य हैं, जिसमें 56 फाइलेरिया रोगी हैं। वहीं मिर्ज़ापुर के 10 गाँव में बनाए गए प्लेटफॉर्म में कुल 103 सदस्य हैं, जिसमें 56 फाइलेरिया रोगी हैं। सभी को विभागीय चिकित्सकों द्वारा प्रशिक्षित किया गया है। वर्तमान में इन सदस्यों के माध्यम से फाइलेरिया से बचाव के लिए सामूहिक दवा सेवन अभियान के अंतर्गत लोगों को जागरूक किया जा रहा है। ऐसे परिवार जो दवा खाने से मना का रहे हैं उन्हें स्वयं का उदाहरण देकर फाइलेरिया की गंभीरता बताते हुए इससे बचाव की दवा का सेवन कराने में विभागीय स्वास्थ्य कार्यकर्ता का सहयोग कर रहे हैं।