आजमगढ़:नुक्कड़ नाटक के जरिए फाइलेरिया से बचाव की दवा खाने को लेकर किया जागरूक,स्वास्थ्य विभाग ने सीफार संस्था के सहयोग से अतरौलिया व मिर्ज़ापुर ब्लॉक में कराया आयोजन

लाइलाज है बीमारी, बचाव ही एक मात्र रास्ता– स्वास्थ्यकर्मी के सामने ही करें दवा का सेवन,28 फरवरी तक चलेगा आईडीए अभियान, अब तक 1.38 लाख लोगों ने खाई फाइलेरिया से बचाव की दवा

 

आजमगढ़:सबको दवाई खिलाएंगे, हर एक को समझाएंगे। फाइलेरिया से बचाएंगे,सपने को सच बनाएंगे,देश खुशहाल बनाएंगे आदि संदेशों के साथ जनपद के दो ब्लॉक अतरौलीय और मिर्ज़ापुर मेंबुधवार और वृहस्पतिवार को नुक्कड़ नाटकों का आयोजन किया गया। लखनऊ से आई आकार फाउंडेशन के कलाकारों ने अतरौलिया ब्लॉक के जुलाहा पट्टी, लोहरा, बड़या और मिर्ज़ापुर ब्लॉक के शपूर, खपड़ागाँव, सरायमीर गाँव में प्रस्तुतियां दीं। इन नुक्कड़ नाटकों के जरिये फाइलेरिया रोग की गंभीरता व इससे बचाव की दवाओं का महत्व बताकर 10 से 28 फरवरी तक संचालित किए जा रहे सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम के तहत स्वास्थ्यकर्मियों के सामने ही दवा खाने का संदेश दिया गया।मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ आईएन तिवारी के दिशा निर्देशन व नोडल अधिकारी/एसीएमओ डॉ एके चौधरी के नेतृत्व में जिले के स्वास्थ्य महकमे ने स्वयंसेवी संस्था सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफार) संस्था के सहयोग से नुक्कड़ नाटक का आयोजन कराया। नुक्कड़ नाटक के बाद लोगों को फाइलेरिया रोधी दवा सेवन की शपथ भी दिलाई गई।जिला मलेरिया अधिकारी राधेश्याम यादव ने बताया कि 10 फरवरी से शुरू हुए फाइलेरिया उन्मूलन के लिए ट्रिपल ड्रग थेरेपी अभियान के तहत जनपद में लक्षित आबादी 46 लाख के सापेक्ष कार्यदिवस यानि चार दिनों में करीब 1.38 लाख (30 प्रतिशत) लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन कराया जा चुका है। इस दौरान दवा खाने से इन्कार करने वाले लोगों को प्रेरित कर उन्हें भी स्वास्थ्यकर्मियों के सामने दवा का सेवन कराया गया । आशा कार्यकर्ता और नुक्कड़ नाटक के माध्यम से समुदाय को लगातार जागरूक किया जा रहा है। इस कार्य में डब्ल्यूएचओ, पाथ, पीसीआई और सीफार संस्था भी सहयोग कर रही है।
उन्होंने कहा कि फाइलेरिया एक ऐसी लाइलाज बीमारी है जिसे हाथीपांव के नाम से भी जानते हैं। यह गंदगी में पनपने वाले फाइलेरिया संक्रमित क्यूलेक्स मादा मच्छर के काटने से होता है। इसके लिए साल में एक बार व पांच साल तक लगातार फाइलेरिया रोधी दवा का सेवन कर इस रोग से बचा जा सकता है। यह दवा प्रति वर्ष सामूहिक दवा सेवन अभियान के दौरान घर-घर खिलाई जा रही है। दो वर्ष से अधिक उम्र के प्रत्येक व्यक्ति को इस दवा का सेवन करना है। सिर्फ गर्भवती और अति गंभीर बीमार लोग दवा का सेवन नहीं करेंगे। उन्होंने बताया कि संक्रमित मच्छरों से बचाव के लिए मच्छरदानी का प्रयोग और घर के आसपास सफाई का रखा जाना जरूरी है।
नुक्कड़ नाटक के माध्यम से बताया गया कि यह बीमारी मच्छरों के काटने से होती है न कि किसी और वजह से ।इसका मच्छर रात में काटता है। इसलिए रात में मच्छरदानी लगाकर सोएं, फुल आस्तीन के कपड़े पहनें और मच्छररोधी क्रीम लगाएं। मच्छर गंदगी में पनपते हैं ऐसे में साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें। नाटक के जरिये इस संदेश पर जोर भी दिया गया कि जिन लोगों में फाइलेरिया के सूक्ष्म परजीवी मौजूद हैं जब वह फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन करते हैं तो उन्हें सामान्य सरदर्द, शरीर में दर्द, बुखार, उल्टी और बदन में चकत्ते जैसी मामूली प्रतिक्रियाएं हो सकती हैं । ऐसे लक्षण जिनमें नजर आ रहे हैं उन्हें घबराना नहीं चाहिए, बल्कि खुश होना चाहिए कि वह फाइलेरिया के संक्रमण से बच गए । ऐसे लक्षण आमतौर पर स्वतः ही समाप्त हो जाते हैं। अधिक समस्या होने पर आशा कार्यकर्ता के माध्यम से गठित चिकित्सकों की टीम से परामर्श लिया जा सकता है।
फाइलेरिया के लक्षण-
बायोलॉजिस्ट हरिकेश लाल ने बताया कि मच्छर काटने के 5 से 10 साल बाद रोगी के हाथ या पैर में सूजन, पुरूषों के अंडकोष व महिलाओं के स्तन में सूजन आ जाती है । एक बार लक्षण प्रकट होने के बाद इस बीमारी का कोई उपचार संभव नहीं है । इसीलिए इस बीमारी से बचाने के लिए हर वर्ष फाइलेरिय रोधी दवा लोगों को खिलाई जाती है ।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button