आवाज की गूंज

पुणे प्रतिनिधी — मंदार तळणीकर

सुभाष घई के व्हिसलिंग वूड्स इंटरनॅशनल फिल्म स्कूल द्वारा निर्मित, आवाज ये लघुपट, हमारा मूवी के youtube चॅनेल पर दाखिल हो गया है. मजेदार किस्से से शुरु होनेवाली यह कहानी दर्शक को एक अद्भुत मोड पर ले जाती है. अदिती और अजय एक दुसरे से प्यार करते है और शादी करना चाहते है. शादी की तैय्यारीयों के दौरान अदिती का अस्तित्व ‘आजकल मैं बस एक बहूँ हूँ’ यहाँ सीमित हो जाता है. उसे यह मंजूर नही है. पर क्या एक औरत को, एक मर्द की तरह, प्यार,परिवार, करियर और आझादी, एकसाथ मिल सकती है?
आवाज हर औरत की कहानी है. संवेदना सुवल्का, अदिती की दुविधा को बारकी से बयाँ करती है. वेदांती दाणी का निर्देशन सरल एवं प्रभावशाली है. फिल्म का छायांकन कहानी के सादगी को इमानदारी से दर्शाता है. ‘थोडी सी जिद्दी हू मै, थोडासा मुझको है पाना, सारा जहा’ यह गाना लायला ने बखुबी से गाया है. ‘आवाज’ पितृसत्ताक समाज के अनगिनत कमजोरीयों पर एक मार्मिक टिप्पणी है. यह फिल्म स्त्रीमुक्तीवाद, महिला सशक्तीकरण के परे जाकार एक संवेदनशील, सुरैल अनुभव है, जो आपका मनोरंजन करते करते आपके मन मे सवाल उठाएगी.

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