सूर्य उपासना का पर्व डाला छठ नहाय-खाय के साथ शुरू 

छठ पूजा को लेकर सामाग्रियों की बिक्री शुरू हो गई है काफी तेजी में 

 

रिपोर्ट अशरफ संजरी

भदोही। सूर्य उपासना का पर्व डाला छठ मंगलवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया। इसको लेकर व्रतियों के घरों में पूरी तरह से भक्ति का माहौल बन गया। बेहद खास और अहम पर्व छठ कई मायने में खास होता है। महिलाएं दो दिनों तक उपवास रहकर भक्ति में पूरी तरह से लीन रहती हैं।

इस अवसर पर मंगलवार को महिलाओं ने व्रत रखा। बुधवार को व्रती दिन भर निराहार रहने के बाद शाम को खरना का अनुष्ठान पूरा करेंगी। इसके बाद 36 घंटे का निराहार आरंभ हो जाएगा। गुरुवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाएगा | शुक्रवार की सुबह व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देंगी। इसके साथ ही सूर्य उपासना का पर्व डाला छठ का समापन हो जाएगा। व्रत वाले घरों में विशेष शुद्धता बरती जा रही है। स्वच्छता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। छठ घाटों, तालाबों, जलाशयों व कुंडों की साफ-सफाई हो गई है। वहीं छठ पूजा के लिए सूप, दउरा, मिट्टी के दीए, मौसमी फल और लौकी की खरीदारी शुरू हो गई है। धरती से उपजी हुई हर फसल और हर फल-सब्जी इसका प्रसाद है। मिट्टी से बने चूल्हे पर और मिट्टी के बर्तन में नहाय-खाय, खरना और पूजा का हर प्रसाद बनाया जाता है। बांस से बने सूप में पूजन सामग्री रखकर अर्घ्य दिया जाता है। बांस का बना सूप, दौरा, टोकरी, मउनी तथा मिट्टी से बना दीप, चौमुखा व पंचमुखी दीया और कंद-मूल व फल जैसे ईख, सेव, केला, संतरा, नींबू, नारियल, अदरक, हल्दी, सूथनी, पानी फल सिंघाड़ा , चना, चावल (अक्षत), ठेकुआ इत्यादि छठ पूजा की सामग्री प्रकृति से जोड़ती है। जिसकी खरीदारी काफी तेज हो गई है। जगह-जगह पर इन सामाग्रियों की दुकानें सज गई हैं।

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