बिन बाप के बिटिया की सादी के लिए मजबूर मा़ं, फिर कौन बना देवदूत

हिंद एकता टाईम्स भिवंडी
रवि तिवारी
उत्तर प्रदेश -उत्तर प्रदेश जौनपुर जिले की यह सच्ची घटना मानवता की शिखर उच्चतम और एतिहासिक घटनाओं का गवाह बनकर सुनहरे पन्नो पर लिखने वाला कौन है वह देव दूत? हर माता पिता का एक सपना होता है।कि उसकी लाडली बिटिया जिसको बडे़ अरमानो से पालपोष कर बडा किया। अब बारी थी उसे दुल्हन बनाकर खुशी खुशी ससुराल में बिदा करने की। लड़की के पिता शोभनाथ सिंह की मृत्यु लगभग १५ वर्ष पहले हो चुकी थी। स्व,शोभनाथ की पत्नी अपने बच्चों का लालन पोषण करते हुए अपनी क्षमता अनुसार पढ़ाई लिखाई करवा पाई थी। किसी तरह अपनी जीविका चलाने को मजबूर आखिर अपनी लाडली को ससुराल कैसे विदा कर पाती?
दोस्तों आप भी उस देव दूत का नाम पढ़ने और सुनने के लिये उतावले होंगे और सच बताऊं मैं भी लिखते हुए उस देव दूत का नाम अपने आपको बडडा़ ही गर्वान्वित महसूस कर रहा हूं। उस लाडली के घर खाने को रशद सामाग्री नहीं था। मांग में सिंदूर कैसे भरी जाती और लाडली का हांथ पीला कैसे होता? मां क्या करती? थोड़ा बहुत जमीन था मजबूर मां सोची की वही बेचकर बिटिया की शादी कर दूंगी। लेकिन उससे आर्थिक समस्या का समा धान नहीं हो रहा था। फिर उधार लोन लेने की सोची लेकिन बात नहीं बन पाई। किसी के व्दारा खबर मिली देवदूत वानर सेना की। मां की दुलारी बिटिया ने खुद देवदूत वानर सेना के संरक्षक अजीत प्रताप सिंह जी को फोन कर मदद की गुहार लगाई। अजीत भैय्या ने खुद मदद की और वानर सेना के अध्यक्ष.डॉ शरद कुमार सिंह के नेतृत्व में अभियान चला करके लगभग १५ लाख रुपया और लगभग इतने का सामान देकर ५ दिनों में बिटिया के शादी के लिए जुट कर धूम धाम से बिटिया को खुशी खुशी अपने ससुराल बिदाकर के मानवता की एक मिशाल पेश किया।
देवदूत वानर सेना जिंदाबाद

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