संविधान की प्रस्तावना से समाजवादी और सेकुलर शब्द गायब करने वालों के खिलाफ़ कार्यवाई के लिए अल्पसंख्यक कांग्रेस ने राष्ट्रपति को भेजा ज्ञापन*

रिर्पोट: रोशन लाल

सरकार द्वारा सांसदों को बांटे गए संविधान की प्रस्तावना से समाजवादी और सेकुलर शब्द को गायब कर देने के लिए ज़िम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई करने की मांग के साथ अल्पसंख्यक कांग्रेस ने प्रदेश भर से राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन भेजा है अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने कांग्रेस मुख्यालय से जारी बयान में कहा कि आर एस एस शुरू से ही सबको बराबरी का दर्जा देने वाले संविधान को बदलना चाहती है ताकि हज़ार साल पुरानी व्यवस्था फिर से लागू हो जाए। इसीलिए मोदी सरकार और उससे पहले अटल बिहारी वाजपेयी सरकार भी संविधान की प्रस्तावना से इंदिरा गाँधी सरकार द्वारा जोड़े गए समाजवादी और सेकुलर शब्द को हटाने की साज़िश करती आ रही है।
उन्होंने कहा कि इसी उद्देश्य से राज्यसभा में भाजपा सांसदों द्वारा दो बार संविधान की प्रस्तावना से समाजवादी और सेकुलर शब्द हटाने की मांग वाले प्राइवेट मेंबर बिल लाए गए। जबकि सुप्रीम कोर्ट कई फैसलों में कह चुका है कि संसद भी प्रस्तावना में कोई बदलाव नहीं कर सकती। इस पूरे प्रकरण पर अल्पसंख्यक कांग्रेस ने संविधान के अभिरक्षक होने के नाते सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को संज्ञान लेने के लिए ज्ञापन भेजा था। 15 अगस्त को भी प्रधान मंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय ने अपने पद के साथ एक अंग्रेज़ी दैनिक में संविधान बदलने की मांग के साथ लेख लिखा था। उनके खिलाफ़ भी कार्यवाई के लिए अल्पसंख्यक कांग्रेस ने हर ज़िले से सुप्रीम कोर्ट को ज्ञापन भेजा था शाहनवाज़ आलम ने कहा कि मोदी सरकार की इन हरकतों से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि सांसदों को दी गयी संविधान की प्रति की प्रस्तावना से समाजवादी और सेकुलर शब्दों को जान बूझ कर हटाया गया। उन्होंने कहा कि क़ानून मंत्री अगर इसे चूक बता रहे हैं तो चूक करने वाले ज़िम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ़ वो कार्यवाई करें। उन्होंने कहा कि कांग्रेस संविधान बदलने की किसी भी साज़िश को सफल नहीं होने देंगे।

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