देवरिया:आज भी गांव में सुनाई देती है ढोलक की थाप एवं फाग
रिपोर्टर विनय मिश्र बरहज
देवरिया।परंपरागत होली गीत और ढोलक की थाप गांव में आज भी सुनाई देती है ।कई ऐसे गांव हैं जहां पर होली से पहले बसंत पंचमी के दिन ही होलीका निश्चित स्थान पर गाढ़ दी जाती है। और उसी दिन से फगुआ गीत प्रारंभ होता है ।ऐसे ही एक गांव है ।बुढनपुरा जहां पर बसंत पंचमी के अवसर पर होलिका स्थापित हो जाती है ।और उसी दिन से फाग फगुआ गीत प्रारंभ होता है गांव के लोगों की माने तो प्रतिदिन किसी न किसी के दरवाजे पर होली गीत गाई जाती है ।इस टीम मे बृजेश चंद पांडे ,आलोक प्रकाश गौड़ ,नीरज लाल, प्रकाश चंद पांडे, आनंद गौड़ ,बनारसी प्रसाद, सेतु मौर्य ,संत रामदास ,ओंकार नाथ तिवारी, संतोष कांदु , मुन्नू मिश्र, रामू बाबा, दीपू पांडे ,चंद्रभूषण पांडे , रामनरेश मौर्य ,सहित अन्य फाग प्रेमी देर रात तक होली गीत गाते हैं। होली गीत की कुछ लाइन इस तरह
आयो यह मस्त बसंत सखी
घर बलम नहीं आयो।
सिया निकली अयोध्या की ओर, होलिया खेले राम लाल।
जनि जाओ कंत परदेस
बसंत नेराने।
वर्तमान समय में भी परंपरागत होली गीत ऐसे ही लोगों ने जीवित रखा है। जीवन में कभी भी अपनी पुरानी परंपरा को बनाए रखना चाहिए।