मानव जीवन के बारह संस्कार से जीवन में होता है संचालन
रिपोर्ट अजीत कुमार सिंह बिट्टू जी ब्यूरो चीफ हिंद एकता टाइम्स
नगरा(बलिया) गायत्री परिवार रचनात्मक ट्रस्ट बलिया के तत्वाधान में बिशुनपुरा बाजार में आयोजित गायत्री महायज्ञ के तीसरे दिन प्रवचन करते हुए आचार्य श्री ऋषि देव तिवारी ने कहा कि युग निर्माण के प्रवर्तक पंडित आचार्य श्री राम शर्मा जी ने मानव जीवन में बारह संस्कार बताए है। अगर मानव जीवन में बारह संस्कारों को पूर्ण का लिया जाए तो मनुष्य परमगति को प्राप्त कर सकता है। कहा कि मानव शरीर तो एक जैसा ही है लेकिन उसके रूप अनेक है । उदाहरण देते हुए कहा कि जिस प्रकार मिट्टी तो एक है लेकिन कुम्हार उसे भिन्न भिन्न सांचों में ढलता है उसी मिट्टी से कलश बनाया जाता है जो भगवान का स्वरूप होता है और माथे पर स्थापित किया जाता है ,उसी मिट्टी से चिलम बनाया जाता है जो खुद तो जलता है ही दूसरों को भी जला देता है। संस्कारों पर चर्चा करते हुए कहा कि माता के गर्भ में बच्चे को तीसरे महीने से ही संस्कार मिलने लगते है।इसलिए माता को आहार बिहार,विचार, रहन सहन सब कुछ सही रखना चाहिए ।उदाहरण देते हुए कहा कि माता के गर्भ में ही अभिमन्यु को चक्रभ्यू भेदन का ज्ञान प्राप्त हो गया था लेकिन माता सुभद्रा के सो जाने से आखिरी द्वार के भेदन की जानकारी नहीं हो सकी । कहा कि कहोड़ ऋषि ने गर्भ के दौरान अपनी पत्नी को वेद पाठ सुनाया जिसे गर्भ में ही महर्षि अष्टाबक्र ने कन्तष्ट कर लिया तथा अपने पिता को वेदपाठ में आठ त्रुटियों के तरफ इशारा किया। इस अवसर पर अनिल श्रीवास्तव,विजय प्रकाश, शिवकुमार अंजनी ,भुवनेशर आदि रहे।