Maharashtra news:अबू आसिम आजमी और नवाब मलिक के बीच सुरू होगया है शह-मात का खेल,राजनितिक विद्यालय मे परीक्षा देते ही दोस्ती के पेपर मे होगये फेल
Mumbai
रिपोर्ट:रोशन लाल
महाराष्ट्र में इसी महीने विधानसभा का चुनाव होने जारहा हैं । ज्ञातब्य है कि 288 सीटों पर 20 नवंबर को चुनाव होंगे, जिसके लिए सभी पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवारों के नाम की भी घोषणा कर दी है. महाराष्ट्र के चुनावी मैदान में दो ऐसे नेता अबू आसिम आजमी और नवाब मलिक के बीच टक्कर है, जो कभी दोस्त हुआ करते थे और दोनों ने ही एक ही पार्टी से अपनी राजनीति की शुरुआत की थी लेकिन अब एक-दूसरे को मात देने के लिए दांव चल रहे हैं. यह दोनों दुश्मन कैसे बने चलिए बताते हैं.महाराष्ट्र की सियासत में उत्तर भारतीय दो मुस्लिम नेताओं की सियासत एक साथ एक ही दल से सियासी परवान पर चढ़ी, लेकिन सियासी वर्चस्व की जंग में अब एक दूसरे को मात देने के लिए उतर गए हैं. बात कर रहे हैं अबू आसिम आजमी और नवाब मलिक की. ये दोनों ही मुस्लिम नेता उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल से आते हैं और मुंबई की मुस्लिम बहुल सीटों से किस्मत आजमाते रहे हैं. इनके बीच गहरी दोस्ती थी और सपा से ही विधायक चुने गए थे, लेकिन सियासत ने अब एक दूसरे को आमने-सामने लाकर खड़ा कर दिया है.मुंबई की सियासत में अबू आसिम आजमी और नवाब मलिक जाने-पहचाने मुस्लिम चेहरे हैं और दोनों ही उत्तर भारतीय नेता हैं. अबू आसिम आजमी मानखुर्द शिवाजी नगर सीट से तीन बार विधायक बन चुके हैं और चौथी बार मैदान में उतरे हैं. नवाब मलिक मुंबई की अणुशक्तिनगर सीट से चुनाव लड़ते और विधायक चुने जाते रहे हैं. एक समय में दोनों ही सपा के कद्दावर नेता रहे हैं, लेकिन बाद में दोनों ही सियासी राहें अलग-अलग हो गई. नवाब मलिक ने सपा छोड़कर एनसीपी का दामन थाम लिया और शरद पवार के करीबी हो गए तो अबू आसिम आजमी ने सपा की कमान पूरी तरह अपने हाथों में ले ली.नवाब मलिक एनसीपी में रहे तो अबू आसिम आजमी सपा से राजनीति करते रहे. इसके बाद भी कभी एक दूसरे के खिलाफ खुलकर चुनौती नहीं दी, लेकिन इस बार दोनों एक दूसरे से सियासी तौर पर निपटने के लिए उतरे हैं. अबू आसिम आजमी ने नवाब मलिक की सियासी प्रभाव वाले अणुशक्तिनगर में अपना दांव चला तो नवाब मलिक ने मानखुर्द शिवाजी नगर सीट पर आजमी को सीधे चुनौती देने के लिए खुद ही उतर गए हैं. ऐसे में देखना है कि नवाब मलिक और अबू आजमी के बीच चल रहे सियासी शह-मात के खेल में कौन किस पर भारी पड़ता है?:-महाराष्ट्र की मुस्लिम सियासत में अबू आसिम आजमी अपना एकछत्र राज कायम करने के लिए लंबे समय से कवायद में जुटे हैं तो नवाब मलिक भी अपना वर्चस्व बनाए रखना चाहते हैं. नवाब मलिक मनी लांड्रिंग मामले में जेल गए तो अबू आजमी ने अपना सियासी दांव चलना शुरू कर दिया. नवाब मलिक की कर्मभूमि अणुशक्तिनगर सीट पर अबू आजमी अपने करीबी फहाद अहमद को चुनाव लड़ाने की कवायद में जुट गए थे. टाटा इंस्टीट्यूट से पढ़ाई करते हुए फहाद सपा नेता अबू आसिम के साथ जुड़ गए थे. ऐसे में सपा से अपनी राजनीति करने लगे थे:-फहाद की शादी फिल्म अभिनेत्री स्वरा भास्कर से होने के बाद अबू आजमी को लगा कि सपा से उन्हें चुनाव लड़ाकर नवाब मलिक को पूरी तरह निपटा देंगे, क्योंकि बीजेपी ने भी मलिक के खिलाफ आक्रमक रुख इख्तियार कर रखा था. इस तरह अबू आसिम आजमी ने मजबूत सियासी बिसात बिछाई थी और सपा के लिए जिन सीटों की डिमांड की थी, उसमें अणुशक्तिनगर सीट का नाम भी शामिल था. फहाद लगातार क्षेत्र में शक्रिय थे और अबू आजमी ने भी उनके लिए बैटिंग शुरू कर दी थी,अणुशक्तिनगर सीट से अजीत पवार ने नवाब मलिक की बेटी सना मलिक को एनसीपी से प्रत्याशी बनाया है. महा विकास अघाड़ी में यह सीट सपा मांग रही थी, लेकिन जब एनसीपी के कोटे में गई तो फहाद शरद पवार का दामन थामकर मैदान में उतर गए. इस तरह अणुशक्ति नगर सीट पर सना मलिक बनाम फहाद अहमद के बीच चुनावी लड़ाई बन गई. मुस्लिम बहुल सीट पर पिछले तीन चुनाव के नतीजे देखें तो दो बार एनसीपी के टिकट पर नवाब मलिक जीते हैं और 2014 में शिवसेना ने जीते थे. इस बार अबू आजमी अपने करीबी फहाद को लड़ाकर अपना वर्चस्व बनाए रखना चाहते हैं, लेकिन नवाब मलिक ने भी तुरुप का पत्ता चल दिया है,:-अणुशक्तिनगर सीट पर अबू आसिम आजमी ने नवाब मलिक की बेटी के खिलाफ अपने करीबी को शरद पवार की एनसीपी से उतारा. इसके जवाब में नवाब मलिक मानखुर्द शिवाजी नगर सीट सीट पर अबू आजमी के खिलाफ खुद ताल ठोक दी. आजमी तीन बार इस सीट से विधायक रह चुके हैं और सपा का गढ़ माना जाता है. मुस्लिम सियासत के लिहाज से मानखुर्द सीट काफी मुफीद मानी जाती है और उत्तर भारतीय मुस्लिमों का दबदबा है. इसीलिए अबू आजमी यहां से चुनाव लड़कर विधायक बनते रहे हैं, लेकिन इस बार नवाब मलिक ने एनसीपी से ताल ठोककर सियासी टेंशन पैदा कर दी है:-मानखुर्द शिवाजी नगर सीट पर अबू आसिम आजमी भले अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हों, लेकिन नवाब मलिक के एनसीपी प्रत्याशी के तौर पर पर्चा भरने के बाद चुनावी मुकाबला रोचक हो गया है. इस सीट पर मुस्लिम वोटर जो हैं, उनमें बड़ी संख्या यूपी के मुस्लिमों की है और खासकर पूर्वांचल बेल्ट के हैं. अबू आसिम और नवाब मलिक दोनों ही पूर्वांचल से होने के नाते, दोनों का ही प्रभाव है. ऐसे में मुस्लिम वोटों का बिखराव होता है तो आजमी के लिए राह आसान नहीं रहने वाली. इस तरह नवाब मलिक और अबू आसिम आजमी के बीच बयानबाजी तेज हो गई है,:-अबू आसिम आजमी का कहना है कि नवाब मलिक आ नहीं रहे बल्कि बीजेपी उन्हें भेज रही है.उन्होंने कहा कि बीजेपी जानती है कि उन्हें मुस्लिमों के वोट नहीं मिलते, इसलिए मुस्लिम वोटों को बांटने के लिए बीजेपी जानबूझकर नवाब मलिक के विरोध का नाटक कर रही है. आखिर उनकी बेटी तो महायुति से ही लड़ रही हैं. ऐसे में नवाब मलिक कहते हैं कि मानखुर्द विधानसभा सीट से ही चुनाव लड़ने की तैयारी पहले ही कर ली थी और अजीत पवार ने उन पर भरोसा जताकर बड़ा दांव चला है. इस सीट पर शिवसेना ने भी अपना प्रत्याशी उतार रखा है:-नवाब मलिक उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल के बलरामपुर जिले के उतरौला तहसील के छोटे से धुसवा गांव के रहने वाले हैं. उनका परिवार 1970 में मुंबई चला गया. नवाब मलिक के पिता मो. इस्लाम मलिक मुंबई के डोंगरी में छोटा सा कारोबार करते थे, लेकिन बाद में कुर्ला में शिफ्ट हो गए. नवाब मलिक ने अपनी पढ़ाई लिखाई से लेकर सियासत व करोराबर तक मुंबई में किया. कांग्रेस के दिग्गज नेता गुरुदास कामत के खिलाफ चुनाव लड़े और बाद में कांग्रेस का दामन थाम लिया. कांग्रेस छोड़कर सपा का दामन थाम लिया और विधायक बने. इसके बाद अबू आजमी के साथ सियासी अदावत के चलते सपा छोड़कर एनसीपी में हो गए और महाराष्ट्र में कई बार मंत्री भी बने:-वहीं, अबू आसिम आजमी उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ से जाकर मुंबई में बसे हैं. मुंबई में ही कारोबार से लेकर सियासत तक की, लेकिन मानखुर्द शिवाजी नगर सीट को अपनी कर्मभूमि बनाया और लगातार तीन बार विधायक चुने गए. सपा के प्रदेश अध्यक्ष की कमान आजमी ही संभाल रहे हैं. मुस्लिम सियासत के आक्रमक चेहरे माने जाते हैं. इस तरह अपना सियासी दबदबा बनाए रखना चाहते हैं. इसके लिए मजबूत मुस्लिम नेताओं को भी सियासी हाशिए पर लगाने का काम किया है. इस तरह से अबू आजमी और नवाब मलिक अब एक दूसरे के खिलाफ उतरे हैं. इनमें से जो भी चुनाव हारेगा, उसके लिए आगे की सियासी राह काफी मुश्किलों भरी हो जाएगी?:-On the other hand, Abu Asim Azmi has settled in Mumbai from Azamgarh in Uttar Pradesh. He did everything from business to politics in Mumbai, but made Mankhurd Shivaji Nagar seat his karmabhoomi and was elected MLA three times in a row. Azmi is handling the command of the state president of SP. He is considered to be an aggressive face of Muslim politics. In this way, he wants to maintain his political dominance. For this, he has also worked to marginalize strong Muslim leaders. In this way, Abu Azmi and Nawab Malik are now pitted against each other. Whoever loses the election, the political path ahead will be full of difficulties for him?