पत्नी को पति ने पहचान ने से किया इनकार 6 साल पहले हुई थी शादी,पत्नी बोली मेरी बच्ची का क्या होगा

उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में शादी के छह साल बाद मेरा पति मुझे पहचाने से इंकार कर रहा है। मेरी एक बच्ची भी है। उसके भविष्य का क्या होगा। रविवार को मऊ पुलिस लाइन सभागार में आयोजित परिवार परामर्श की बैठक में एक महिला ने यह गुहार लगाई। महिला ने कहा कि 2017 में मेरे साथ एक मंदिर में एक समाजिक संस्था द्वारा आयोजित कार्यक्रम में विवाह किया था। लेकिन बीते दो वर्ष से यह मुझे अपने साथ रखना तो दूर अब पहचानने से इंकार रहे हैं। जबकि इस विवाह का प्रमाण पत्र मेरे पास है।परिवार परामर्श की सदस्यों ने इस मामले में महिला के पति से बातचीत कर इस मामले को निस्तारित करने का प्रयास किया, लेकिन युवक ने महिला और उसकी बच्ची को पहचानने से इंकार कर दिया। जिसके बाद सदस्यों ने महिला की शिकायत पर उसके विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराने का निर्णय लिया।इस दौरान एक दूसरा मामला प्रौढ़ पति-पत्नी का आया। इसमें युवा बच्चों की मां ने अपने पति को इस उम्र में तमाम आरोप लगाकर परेशान करने का आरोप लगाया। पीड़ित व्यक्ति ने बताया कि उसकी पत्नी बेवजह शक पर छोटे- छोटे बात को बढ़ाकर विवाद करती है। इस दौरान उपस्थित महिला के बेटे ने खुद अपनी मां के आरोपों को गलत साबित किया। बेटे ने बताया कि मां के शंका की वजह से घर का माहौल खराब है। वहीं पति ने कहा कि अगर ऐसा होता रहा तो बदनामी के कारण बेटी की शादी कैसे होगी।
आधे घंटे की मशक्कत के बाद सदस्यों ने पति-पत्नी को बच्चों के भविष्य और समाज का हवाला देकर समझौता कराया। पत्नि को हिदायत भी दी गई। परिवार परामर्श में कुल 41 मामले आए। 18 मामलों का निस्तारण किया गया। इस दौरान चार दंपति ने आपसी विवाद सुलह करते हुए फिर से साथ रहने का फैसला किया। जबकि 12 मामलों में पीड़ितों की उदासीनता अथवा मामला कोर्ट में चलने के कारण बंद कर दिया गया। बैठक में अर्चना उपाध्याय, सर्वेश दूबे, शाहिद पैरिस, मौलवी अरशद, उपनिरीक्षक आत्मा सिंह, सोनी सिंह आदि मौजूद रहीं।

اتر پردیش کے ماؤ ضلع میں شادی کے چھ سال بعد میرےشوہر نے مجھے پہچاننے سے انکار کر دیا۔ میری ایک بچی بھی ہے۔ اس کے مستقبل کا کیا بنے گا؟ ایک خاتون نے یہ التجا اتوار کو ماؤ پولیس لائن آڈیٹوریم میں منعقدہ فیملی کونسلنگ میٹنگ میں کی۔ “2017 میں، اس نے ایک سماجی تنظیم کے زیر اہتمام ایک تقریب میں ایک مندر میں مجھ سے شادی کی۔ لیکن پچھلے دو سالوں سے اس نے مجھے پہچاننے سے انکار کر دیا ہے، مجھے اپنے ساتھ رکھنے دو۔ جبکہ اس نکاح کا سرٹیفکیٹ میرے پاس موجود ہے۔ فیملی کونسلنگ کے ارکان نے معاملے میں خاتون کے شوہر سے بات چیت کرکے معاملہ طے کرنے کی کوشش کی لیکن نوجوان نے خاتون اور اس کی بچی کو پہچاننے سے انکار کردیا۔ اس کے بعد ارکان نے خاتون کی شکایت پر اس کے خلاف مقدمہ درج کرنے کا فیصلہ کیا۔اس دوران بالغ شوہر اور بیوی کا دوسرا معاملہ سامنے آیا۔ کمسن بچوں کی ماں نے اپنے شوہر پر اس عمر میں ہراساں کرنے کا الزام لگایا۔ متاثرہ نے بتایا کہ اس کی بیوی غیر ضروری شکوک و شبہات پر معمولی باتوں کو بڑھا کر بحث کرتی ہے۔ خاتون کے بیٹے نے خود ماں کے الزامات کو غلط ثابت کر دیا۔ بیٹے نے بتایا کہ ماں کے شکوک کی وجہ سے گھر کا ماحول خراب ہے۔ شوہر نے کہا کہ اگر ایسا ہی چلتا رہا تو شہرت کی وجہ سے اس کی بیٹی کی شادی کیسے ہوگی؟

آدھے گھنٹے کی محنت کے بعد ممبران بچوں اور معاشرے کے مستقبل کا حوالہ دیتے ہوئے جوڑے کو ایک معاہدے پر لے آئے۔ بیوی کو بھی ہدایت کی گئی۔ فیملی کونسلنگ کے لیے کل 41 کیس آئے۔ 18 مقدمات نمٹائے گئے۔ اس دوران چاروں جوڑوں نے اپنے اختلافات ختم کر کے دوبارہ ایک ساتھ رہنے کا فیصلہ کیا۔ جبکہ 12مقدمات متاثرین کی بے حسی کی وجہ سے بند ہو گئے یا کیس عدالت میں زیر سماعت ہیں۔ میٹنگ میں ارچنا اپادھیائے، سرویش دوبے، شاہد پیرس، مولوی ارشد، سب انسپکٹر آتما سنگھ، سونی سنگھ اور دیگر موجود تھے۔

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