भाजपा का आखिरी राजनीतिक हथियार हिंदू-मुस्लिम करना : टीएस सिंह देव
BJP's last political weapon is to divide Hindus and Muslims: TS Singh Deo
रायपुर: कनाडा द्वारा भारतीय राजनयिकों को लेकर लगाए गए हालिया आरोपों के कारण दोनों देशों के राजनयिक संबंध टूटने की कगार पर हैं। भारत-कनाडा प्रकरण और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा खाने में थूकने के खिलाफ अध्यादेश लाने के फैसले पर छत्तीसगढ़ के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं कांग्रेस नेता टी.एस. सिंह देव ने आईएएनएस से खास बातचीत की।
भारत कनाडा प्रकरण को लेकर उन्होंने कहा कि कनाडा के राष्ट्राध्यक्ष की तरफ से बहुत ही अपरिपक्व बयान आ रहे हैं। वहां चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में ट्रूडो को एक वर्ग विशेष और समूह विशेष का सहयोग जरूरी दिख रहा है। पिछले कई साल से हम देख रहे हैं कि वे ऐसे बयान देते चले आ रहे हैं। उग्रवाद और आतंकवाद से जुड़े भारत द्वारा सूचीबद्ध व्यक्तियों को कनाडा में ज्यादा पनाह मिली है। वहां वे खुलेआम ऐसे बयान देते हैं और कनाडा सरकार उन पर कार्रवाई नहीं करती। इसी का नतीजा है कि आज भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंध टूटने की कगार पर हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा खाने में थूकने के खिलाफ अध्यादेश लाने पर टी.एस. सिंह देव ने कहा कि जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों के कैसे विचार हैं। अगर, कोई मुसलमान थूक कर खाना खिला रहा है, तो वहां मुसलमान नहीं जाएंगे क्या? यह सिर्फ हिंदू-मुस्लिम करने का प्रयास किया जा रहा है। जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों द्वारा लोगों की भावनाओं को गुमराह किया जा रहा है। अगर, सोशल मीडिया के जरिए किसी को ऐसा करते हुए पाया गया है तो दोषी के खिलाफ कार्रवाई करने से कौन रोक रहा है। जो वर्तमान कानूनों के तहत कार्रवाई नहीं कर सकते, वे अध्यादेश लाकर क्या कर सकते हैं?
कांग्रेस नेता कहा कि 2024 लोकसभा चुनाव में अपने खिसकते जनाधार को देखने के बाद इसको बरकरार रखने के लिए भाजपा के पास आखिरी राजनीतिक हथियार ‘हिंदू-मुस्लिम’ करना है। जब भाजपा लोकसभा चुनाव में मात्र दो सीटों पर सिमटी थी, पार्टी का उत्थान आडवाणी की रथ यात्रा और बाबरी मस्जिद के विध्वंस से हुआ। हिंदू-मुस्लिम करने से वे अंतत: 303 तक पहुंचे थे।
इस साल लोकसभा चुनाव में उन्होंने देखा कि काशी में बाबा विश्वनाथ भव्य कॉरिडोर बनाने के बाद भी प्रधानमंत्री मात्र 1,52,000 वोट से जीते, अयोध्या में राम मंदिर बनाने के बाद भी उस लोकसभा क्षेत्र में हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में वे समझ गए हैं कि हिंदू-मुस्लिम के अलावा उनके पास कोई दूसरा चारा नहीं है। लेकिन अब लोग सामाजिक न्याय और सही तथ्यों की तरफ देखने लगे हैं।