रतन टाटा के निधन पर जमशेदपुर के लोगों ने कहा, ‘हमारा सपना साकार नहीं हो पाया’

On the demise of Ratan Tata, the people of Jamshedpur said, 'Our dream could not be realised'

जमशेदपर:देश के प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा के निधन से झारखंड के जमशेदपुर में सन्नाटा पसरा हुआ है। लोगों को विश्वास नहीं हो रहा है कि रतन टाटा अब कभी जमशेदपुर नहीं आएंगे।

 

बता दें कि रतन टाटा ने बुधवार को मुंबई स्थित कैंडी अस्पताल में 86 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। उनके निधन से देशभर में शोक की लहर है। जमशेदपुर के जुबली पार्क में सुबह वॉक करने आए लोगों ने रतन टाटा के निधन पर अपनी प्रतिक्रिया दी।

 

अनीता कुमारी ने कहा, रतन टाटा के निधन की खबर काफी दुखद है। इस खबर पर विश्वास नहीं हो रहा है। भगवान उन्हें अपने चरणों में स्थान दें। उनके जाने से जमशेदपुर को काफी क्षति हुई है। क्योंकि, हमेशा जमशेदपुर आते रहे हैं। वह हर साल 3 मार्च को यहां आते थे। अब 3 मार्च उनके बिना अधूरा सा लगेगा।

 

उनका व्यक्तित्व काफी बड़ा था। हम लोग चाहते थे कि उन्हें भारत रत्न दिया जाए लेकिन, वह सपना साकार नहीं हो पाया।

 

अनिल अग्रवाल ने कहा कि रात को रतन टाटा के देहांत की खबर मिली। बहुत दुख हुआ है, सिर्फ जमशेदपुर ही नहीं, आज पूरा देश दुखी है। रतन टाटा को जमशेदपुर से काफी लगाव था। वह हर साल 3 मार्च को जमशेदपुर आते थे। मुझे याद है कि जब वह जमशेदपुर आते थे तो आम लोगों से मिलते थे। लोग उनसे मिलने के लिए हर साल 3 मार्च का इंतजार करते थे। जब तक वह स्वस्थ रहे वह इस प्रक्रिया के तहत आते थे।

 

टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन रहे रतन टाटा 26 बार जमशेदपुर आए थे। बढ़ती उम्र के बावजूद उन्होंने जमशेदपुर से अपना कनेक्शन तोड़ा नहीं था। यहां हर साल 3 मार्च को होने वाले कार्यक्रम में उनकी कोशिश होती थी कि वह इसमें जरूर शामिल हो। गत वर्ष 3 मार्च को यहां पर आयोजित कार्यक्रम में रतन टाटा को आना था। लेकिन, तबीयत खराब होने के चलते वह यहां पर नहीं आ सके थे।

 

दरअसल, 3 मार्च को जमशेदपुर शहर के संस्थापक जमशेदजी नुसीरवानजी टाटा का जन्म हुआ था। उन्होंने जमशेदपुर को विकास के मानचित्र पर ला खड़ा किया था। यही कारण है कि हर साल उनकी जयंती पर ये शहर जश्न में डूब जाता है।

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