अर्कावती लेआउट को कांग्रेस सरकार ने गलत तरीके से डिनोटिफाई किया : लहर सिंह सिरोया
Arkavati Layout was wrongly denotified by the Congress government: Lahar Singh Siroya
बेंगलुरु: कर्नाटक में इन दिनों अर्कावती डिनोटिफिकेशन मामले का जिन्न एक बार फिर से बाहर निकल आया है। राज्य में इस पर घमासान मचा है। इस मुद्दे पर भाजपा के राज्यसभा सांसद लहर सिंह सिरोया ने आईएएनएस से विस्तृत बातचीत की।
सिरोया ने कहा, “अर्कावती का यह मामला नया नहीं है। यह पुराना मामला है, जो 2013 से जुड़ा हुआ है। जब पिछली सरकार बनी थी, उस समय अर्कावती लेआउट का नोटिफिकेशन हुआ था। यह मुद्दा विधानसभा और विधान परिषद में जोरशोर से उठाया गया था, जिसके चलते मुख्यमंत्री सिद्दारमैया ने एक न्यायिक जांच समिति का गठन किया। इस समिति ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें कहा गया कि 328 एकड़ जमीन को गलत तरीके से डिनोटिफाई किया गया था। इसमें सभी प्रकार की जमीनों का विवरण शामिल था। हालांकि, इस रिपोर्ट के बाद कोई कार्रवाई नहीं की गई और इसे दबा दिया गया। यह स्थिति बेहद आश्चर्यजनक है। अब यह जरूरी हो गया है कि इस मामले की फिर से जांच हो और एक नई जांच समिति गठित की जाए। राज्यपाल ने भी यह रिपोर्ट मांगी है, लेकिन सरकार ने इसे देने से इनकार कर दिया, जो संवैधानिक दृष्टिकोण से गलत है।”
उन्होंने आगे कहा, “मैं यह मानता हूं कि जो भी गलती की गई है, उसके किसी भी दोषी को नहीं छोड़ना चाहिए, चाहे वह हमारी सरकार के लोग हों या अन्य। पिछले वर्षों में भ्रष्टाचार बढ़ा है और सरकारी संपत्ति का दुरुपयोग हो रहा है। यह सही समय है कि इस पर कार्रवाई की जाए। निष्पक्ष जांच के लिए एक केंद्रीय जांच एजेंसी या सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश द्वारा जांच होनी चाहिए। आरटीआई एक्ट के तहत जो दस्तावेज सामने आए हैं, उनके कुछ अंश मैंने देखे हैं, और उनमें बडे़ घोटाले का जिक्र है। जांच समिति ने भी स्पष्ट कहा है कि कई अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। मेरा मानना है कि अब सभी राजनीतिक पार्टियों को इस मुद्दे पर एकजुट होकर आवाज उठानी चाहिए। मीडिया को भी अपनी जिम्मेदारी समझते हुए भ्रष्टाचार को उजागर करना चाहिए। हमें भ्रष्टाचार से मुक्ति की दिशा में आगे बढ़ना होगा।”
बता दें अर्कावती डिनोटिफिकेशन मामले का विवाद फिर से सामने आया है। राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने कथित तौर पर सरकार को पत्र लिखकर न्यायमूर्ति केम्पन्ना आयोग की जांच रिपोर्ट और दस्तावेजों का अनुरोध किया है। इस आयोग ने ही मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के पहले कार्यकाल के दौरान डिनोटिफिकेशन घोटाले की जांच की थी।